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Showing posts from 2010

तिरंगे पर चला चाकू...

राजनीतिक हस्तियां ये मान कर चलती हैं कि वे मनमानी करते रहेंगे.और इसका खामियाज उन्हें नहीं भुगतना पड़ेगा..छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर में कुछ राजनीतिक लोगों ने कुछ ऐसा ही सोच लिया..लिहाजा उन्होंने मीडिया के सामने ही राष्ट्रीय अखंडता को तार-तार करने का काम किया...लेकिन मीडिया ने जब अपने दायित्वों को समझते हुए इस घटना को सामने लाया तो अपने आपको जनता की हितैषी बत्ताने वाले इन सफेदपोश लोगों की पोल खुल गई...हुआ यूँ कि वाराणसी में हुए धमाके के बाद संवेदनशीलता दिखाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नौ दिसंबर को अपना जन्मदिन नहीं मनाने की घोषणा के बावजूद छत्तीसगढ़ के कांग्रेसियों थोड़ा ज्यादा उत्साह दिखाया और उन्होंने इस अवसर पर जो केक काटा वह तिरंगे के रूप में...इस दौरान ये सफेदपोश भूल गए कि वे छूरा किस पर चला रहे हैं.तीन रंगों वाला राष्ट्रीय ध्वज और उसमें बीच में अशोक चक्र..कांग्रेस पदाधिकारियों ने केक काटते समय इसे नजरअंदाज कर दिया..तिरंगे वाले केक को चाकू से टुकड़ों-टुकड़ों में काँटा और स्वाद लेकर कहा वाह-वाह...इससे पहले भी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष धन्नेद्र साहू पर एक वरिष्ठ कांग्रेस

भ्रष्ट तंत्र की भ्रष्ट कहानी...टेप कांड में कमल से लेकर हाथ...अफसरशाही भी हावी.

देश में भ्रष्टाचार ने किस तरह अपना पैर पसार रखा है..इसका ताजा उदाहरण है..नीरा राडिया टेप कांड...जिसने सफेदपोश, लालफीताशाही, समाज को राह दिखाने वालों की पोल खोल कर रख दी है..ये तो सिर्फ एक टेप कांड का सनसनीखेज खुलासा है..ऐसे कितने टेप जमींदोज हो गए..जिसका अगर आकलन किया जाए..तो पैरों तले की जमीन खिसक जाए..लेकिन इन भ्रष्ट लोगों का इससे क्या...इन्हें तो जैसे भारत की गरीब जनता की पेट पर लात मारने का लाइसेंस जो दे दिया गया है..2 जी स्पेक्ट्रम में जो करोड़ों के व्यारे-न्यारे किए गए..आखिर वह किसका पैसा था..किन लोगों ने इन पैसों का बंदरबाट किया..किसके शह पर किया..औऱ क्यों किया..यह जगजाहिर हो चुका है..लेकिन इन सबके बावजूद देश में अभी तक वह क्रांति नहीं दिख रही..जो दिखनी चाहिए..शायद भारत की जनता ने इस भ्रष्ट तंत्र की नियती समझ कर इसे वक्त के हाथों छोड़ रखा है.आज की तारीख में नीरा राडिया इस देश की सबसे बड़ी लाबिस्ट है..इसके क्लाइंट इस देश के दो सबसे धनी और विश्व के धनिकों में शुमार व्यापारी मुकेश अंबानी और रतन टाटा हैं..72 वर्षीय रतन टाटा के साथ तो इस अधेड़ महिला की बात करने वाली सीडी की चर्चा आज

सबसे बड़ी दलाली की कहानी..मीडिया के जरिए...अब मीडिया की जुबानी

पौने दो लाख करोड़ का टू जी स्पैक्ट्रम घोटाला कोई एक दिन में नहीं हुआ है..हाई प्रोफाइल दलालों ने ए. राजा को दो बार संचार मंत्री बनाने के लिए पूरी लॉबिंग की. फोन टेप्स में सत्ता की सबसे बड़ी दलाली की कहानी..मीडिया के जरिए और मीडिया की जुबानी..केन्या में पैदा हुईं नीरा शर्मा दस साल की उम्र में ही अपने माता-पिता के साथ लंदन चली गई थीं..एक निजी अखबार ने जो जानकारियां इकट्ठी की है.उसके मुताबिक  नीरा के पिता भी सिविल एविएशन क्षेत्र से जुड़े थे..नीरा ने गुजराती मूल के ब्रिटिश व्यापारी जनक राडिया से शादी की, तीन बच्चे भी हुए लेकिन दोनों में तलाक हो गया और नीरा भारत आ गईं..वे दिल्ली के सबसे प्रतिष्ठित इलाकों में गिने जाने वाले छतरपुर के एक शानदार फार्म हाउस में रहती हैं..लंदन की मूल निवासी नीरा राडिया जब 1995 में भारत आईं तो उनके पास केवल एक लाख रुपए थे..सहारा समूह के लिए लाइजन से भारत में अपना कॅरिअर शुरू करने के बाद वे यूके एयर, केएलएम और सिंगापुर एयरलाइंस की भारत में प्रतिनिधि रहीं, लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा इतनी थी कि इस एक लाख रुपए से वे क्राउन एक्सप्रेस के नाम से खुद की एयरलाइन शुरू करना चा

स्पेक्ट्रम घोटाले - क्यों, कौन औऱ कैसे

वेबसाइट औऱ निजी अखबारों से साभार पौने दो लाख करोड़ का टू जी स्पैक्ट्रम घोटाला कोई एक दिन में नहीं हो गया...हाई प्रोफाइल दलालों ने ए. राजा को दो बार संचार मंत्री बनाने के लिए पूरी लॉबिंग की..ताकि वे मिल जुलकर अरबों बना सकें..मामला साफ होता है नीरा राडिया की अलग-अलग लोगों से फोन पर हुई बातचीत से..यह फोन इनकमटैक्स विभाग ने टेप किया..किसने नीरा से क्या कहा, सीधी बातचीत में आया सनसनीखेज खुलासा.. ................................................................................................................................................... नीरा : हैलो राजा : राजा हियर नीरा : हाय! मुझे अभी बरखा दत्त से मैसेज मिला है। वह कहती है.. कि वह आज रात प्रधानमंत्री ऑफिस जाने वाली है। वास्तव में उसी ने मुझे बताया कि सोनिया गांधी वहां गईं थीं। वह कहती है कि उन्हें आपके साथ कोई समस्या नहीं है, लेकिन बालू को लेकर समस्या है। राजा: ...लेकिन इस पर लीडर से तो विचार-विमर्श करना होगा। नीरा : हां, हां..उन्हें लीडर के साथ चर्चा करनी होगी। उन्हें बताना होगा.. राजा : कम से कम.वन टू वन..इसे लीडर के सामने खुलासा हो

ओबामा की इकॉनोमी यात्री

दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा का भारत दौरा...जिसको लेकर पूरी दुनिया की नजर इस समय भारत पर है..आखिर दुनिया के इस ताकतवर शख्स को भारत क्यों आना पड़ा..वह भी ऐसे समय में जब अमेरिका आर्थिक मंदी से जूझ रहा है..भारत की मीडिया इस समय ओबामा की पल-पल की खबरें इकट्ठी कर रही है..सभी यही जानना चाहते हैं कि ओबामा की इस यात्रा पर किन-किन मसौदों पर खास चर्चा हुई..लेकिन लगता है अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबमा के दिल में भारत और चीन की आर्थिक तरक्की का खौफ कुछ ज्यादा ही बैठ गया है..तभी तो भारत यात्रा के पहले वो रोज अपने देश में किसी ने किसी वर्ग से भारत और चीन से मुकाबले के लिए तैयार होने की बात कहते आ रहे थे.अभीं हाल ही में ओबामा ने अपने देश के रिसर्च एंड डेवलपमेंट यानी आरएंडडी विभाग को खास तौर पर हिदायत दी कि वो भारत और चीन की बढ़ती कारोबारी हैसियत के मद्देनजर अपनी नीतियां बनाएं..और अब वे अपने देश के बच्चों से भी ऐसी बात करते नजर आएं..खासकर के बंगलुरू और बीजिंग के बच्चों को लेकर ओबामा ने अपने मुल्क के बच्चों को सावधान किया..पेंसिलवेनिया मैग्नेट स्कूल के एक समारोह में ह

वर्दी वाले इन गुंडों को औकात में कौन लाएगा

15 जवानों ने पत्रकार वैभव और सुरेंद्र पर अपना 'पौरुष' दिखाया : सड़क-सड़क पर गिरा-गिरा कर बुरी तरह पीटा : 'दबंग' फिल्म देखकर निकल रहे कप्तान ने गार्ड को मरवा दिया :  छत्तीसगढ़ पुलिस की दबंगई बढ़ती जा रही है. एक महीने पहले ही बिलासपुर में एसपी की मौजदूगी में सिनेमाघर के गार्ड पर कहर बरपाने के बाद वर्दी के इन गुंडों ने भिलाई के पत्रकार को अपना निशाना बनाया. ईटीवी के संवाददाता वैभव पांडे और जी24 घंटे के कैमरामैन इस बार पुलिसिया दंबगई के शिकार बने. 15-15 पुलिसवालों ने मिलकर लात-घूसे और लाठी-डंडों से पत्रकारों को पिटा. ईटीवी के संवाददाता पर पुलिसिया कहर इस तरह बरपी की वह इस समय भिलाई के एक निजी अस्पताल में भर्ती है. उसके दोनों हाथ और पैरों में गंभीर चोटें आई हैं. पुलिसवालों की इस दबंगई के बाद भी किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने इस बारे में कुछ खास चिंता नहीं जताई है. इस मामले की लीपा-पोती शुरू कर दी गई है. आखिर छत्तीसगढ़ पुलिस को किसने हक दे दिया है कि वह आम लोगों और आम लोगों की आवाज उठाने वाले पत्रकारों को अपना निशाना बनाये. नक्सल मामलों पर छत्तीसगढ़ पुलिस अभी तक फिसड्डी ही साबि

सलवा जुडूम का बदला मुखौटा...

नक्सलियों के खिलाफ एक अनोखी लड़ाई..जिसकी अगुवाई कर रहे हैं..बस्तर के कई लोग..यह लड़ाई है..बिना हथियार की..बिना बंदूक की..इस लड़ाई में नक्सलियों के खिलाफ गांधीगीरी तरीके से मुकाबला किया जाने का फैसला किया गया है..छत्तीसगढ के आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में नक्सलवादियो के विरोध जन जागरण अभियान सलवा जुडूम के बाद अब गांधीगिरी की तैयारी की गई है..गांधी जंयती के अवसर पर गांधीगीरी की शुरूआत बस्तर के कुटरू गांव से किया गया.माओवादियों के खिलाफ पांच साल पहले शुरू हुआ सलवा जुडूम आंदोलन छठवें साल में दम तोड़ चुका है.इसके साथ ही अब इसे गांधीवाद का मुखौटा पहनाकर पुनर्जीवित करने की कोशिश शुरू की गई है..नया जामा पहनकर गांधी जयंती के दिन अब नए कलेवर में दंडकारण्य शांति संघर्ष समिति के नाम पर कुटरू इलाके के ग्रामीणों ने अहिंसक आंदोलन की विधिवत शुरुआत कर दी है..तमाम तरह के राजनीतिक और गैर राजनीतिक प्रतिरोधों के बाद धीरे-धीरे सलवा जुड़ूम आंदोलन की धार कमजोर पड़ने लगी..पांच साल पहले बीजापुर के कुटरू में ही हजारों ग्रामीणों ने माओवादियों के खिलाफ स्वस्फूर्त हथियार उठा लिए थे..कुटरू से फिर एक बार माओवादियों के

नक्सल समस्या: राजनीतिक हस्तियों के साथ दिग्गज पत्रकारों में छिड़ी बहस..

नक्सलवाद पर हर जगह तीखी बहस छिड़ी हुई है..हर कोई इस समस्या के निदान के लिए हल खोज रहा है..छत्तीसगढ़ में तो जैसे वाक्युद्ध की रणभेरी बज चुकी है..जिसमें सभी रणबांकुरों की तरह शब्दों से एक-दूसरे पर वार कर रहे हैं..लेकिन अभी तक कोई सार्थक पहल नक्सल समस्या का होता नहीं दिख रहा..ऐसे में साधना न्यूज ने सामाजिक दायित्वों के प्रति गंभीरता जताते हुए प्रदेश के ज्वलंत मुद्दे पर परिचर्चा का आयोजन किया..अपनी तरह की पहली राष्ट्रीय परिचर्चा में गृहमंत्री ननकीराम कंवर,लोक निर्माण मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, राज्यसभा सांसद नंद कुमार साय सहित नक्सली मुद्दों पर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ शामिल हुए..इस परिचर्चा में विशेषज्ञों के तौर पर बीएसएफ के पूर्व डी़जी और नक्सल मामलों के विशेषज्ञ पद्मश्री प्रकाश सिंह, नक्सल मामलों के जानकार और प्रभात खबर के समूह संपादक श्री हरिवंश, वर्तमान में नक्सली और केंद्र सरकार के बीच वार्ताकार की भूमिका निभा रहे सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश, आईबीएन 7 के प्रबंध संपादक आशुतोष,अमर उजाला के वरिष्ठ संपादक आनंद मोहन, इंडियन ब्रॉडकास्ट एसोसियशन के महासचिव एन.के.सिंह, भारतीय जन

नए ज़माने के कलेवर में रावण...

बहुप्रतीक्षित रावण दर्शकों के बीच पहुंच गई है...महाभारत का आऊटपुट लिए रावण इस साल की दूसरी वैसी फिल्म है जो किसी महाकाव्य से प्रेरित है..मणिरत्नम ने अपनी इस फिल्म के द्वारा रामायण को नए ज़माने के कलेवर में रंग कर एक नए रूप में प्रस्तुत किया है..पांचों मुख्य पात्रों बीरा ( अभिषेक बच्चन ) रावण या रॉबिन हुड , देव ( विक्रम ) राम , रागिनी ( ऐश्वर्या राय ) सीता , मंगल ( रवि किशन ) लक्ष्मण और फॉरेस्ट गार्ड ( गोविंदा ) हनुमान रामायण के पात्रों की भूमिका में है..यहां बीरा की कैद में होने के बावजूद रागिनी रावण की और आकर्षित होने लगती है तो रागिनी के पति बने देव फिल्म में स्टार्ट टु लास्ट विलेन नजर आते हैं.....बाकी पात्रों में भी रामायण के चरित्रों की समानताएं रखी गई हैं...मणि रत्नम इस फिल्म के अनेक दृश्यों में रामायण के निर्णायक प्रसंग ले आते हैं..मणिरत्नम एक ऐसे फिल्मकार हैं जो अपनी फिल्मों में सिर्फ कलाकारों से ही बढ़िया अभिनय करवाने की क्षमता नहीं रखते बल्कि उनकी फिल्म के दृश्य भी संवाद पैदा करते हैं..मणि रत्‍‌नम देश के शिल्पी फिल्मकार हैं..उनकी फिल्में खूबसूरत होती हैं और देश के अन देखे लोके

'राजनीति' की राजनीति

प्रकाश झा ने राजनीति जैसे विषय़ को काफी चतुराई के साथ पर्दे पर उतारा है..जिसमें महाभारत काल से लेकर अब तक की भारतीय राजनीति की साफ झलक इसमें मिलती है..राजनीति कोई नया विषय नहीं है.लेकिन इस फिल्म में नए कलेवर के साथ पुराना तड़का भी है.जो फिल्म को  दर्शकों से  बांधे रखती है.जब प्रकाश झा ने राजनीति की शूटिंग प्रारंभ की तो यह बात फैली कि यह फिल्म सोनिया गांधी के जीवन पर आधारित है.प्रदर्शन के कुछ माह पहले तक जोर-शोर से इसकी ही चर्चा रही.लेकिन जब राजनीति रूपहले पर्दे पर आई तो कहते देर न लगा कि नए कलेवर में महाभारत को दर्शकों के सामने पेश किया गया.जिसमें गाँधी परिवार के कुछ किरदारों के ईद-गिर्द इसे रखा गया है...कैटरीना की चाल-ढाल सोनिया से प्रेरित लगती है..और कैटरीना कैफ के चरित्र का नाम इंदु है.जिससे इंदिरा गांधी का भ्रम पैदा होता है..कभी-कभी ऐसा लगता है कि इंदिरा और सोनिया दोनों की झलक इंदु के किरदार में है..इस पूरे भ्रमजाल में फिल्म की कथा का सोनिया गांधी, राहुल गांधी और इंदिरा गांधी से कोई लेना-देना नहीं है..यहां तक कि अर्जुन रामपाल अभिनीत पात्र का भी संजय गांधी से कोई लेना-देना नहीं है, प

लंबी लड़ाई...मिला कुछ नहीं !

दो दशक बाद आया दुनिया की सबसे विनाशकारी औद्योगिक दुर्घटना पर फैसला..23 साल तक चली सुनवाई, 178 लोगों की गवाही और तीन हज़ार से ज्यादा पन्नों के दस्तावेजों से गुजरने के बाद स्थानीय अदालत ने दोषियों को दो-दो साल की सजा का फैसला सुनाया.गैस त्राषदी के लिए जिम्मेदार बताए जाने वाले नौ आरोपियों में से एक की तो मौत भी हो चुकी है, लिहाजा बाकी के आठ को दोषी करार दिया गया.मामूली धाराएं होने के कारण सभी आरोपियों को जमानत भी मिल गई.जो चोरी-छिपे भोपाल कोर्ट से निकल गए...दोषियों में यूनियन कारबाइड इंडिया के हेड केशब महेंद्रा समेत विजय गोखले, किशोर कामदार, जे मुकुंद, एसपी चौधरी, केवी शेट्टी और एसआई कुरैशी शामिल हैं. अदालत ने माना कि इन लोगों की लापरवाही के चलते ही गैस कांड जैसा विनाशकारी हादसा हुआ. यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के प्लांट के डिजायन में भारी कमियां थीं, दुर्घटना इसी के चलते हुई. हादसे से दो साल पहले अमेरिकी विशेषज्ञों की एक टीम ने सुरक्षा संबंधी कई कमियां बताई थीं लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया गया. लापरवाही और अनदेखी की वजह दो दिसबंर 1984 की रात भोपाल गैस हादसा हुआ. यूनियन कारबाइड इंडिया ल

आखिर कब तक !

नक्सलियों की एक बाद एक खौफनाक और दिल को दहला देनेवाली वारदातें..जो देश के दिल पर एक ऐसा घाव छोड़ गया है...जिसको भर पाना काफी मुश्किल हैं...लेकिन हमारे राजनेता न जाने क्यों..अपने बयानबाजी से बाज नहीं आते..जो मन में आ रहा है..बोले जा रहे हैं...लेकिन कोई भी नक्सली समस्या के हल के बारे में  सार्थक बात नहीं करता..नक्सली समस्या..हमारे सामने ऐसा विकराल रूप लेगा..ऐसा किसी ने सोचा न होगा..लेकिन इस समस्या ने न सिर्फ विकराल रूप लिया है..बल्कि यह एक ऐसी चुनौती बन गई है..जिसे निपट पाना हमारे सरकारों के लिए मुश्किल भरा है...एक के बाद एक नक्सली अपनी वारदातों को अंजाम देते जा रहे हैं.और हमारे पास इसका कोई ठोस जवाब नहीं..नक्सलियों की रणनीति सफल होती जा रही है..और हमारी असफल..आखिर हमारी रणनीति में चूक कहां है..जिसके कारण मुठ्ठी भर नक्सली हमारी सुरक्षा तंत्र पर भारी पड़ रहे हैं...यह सच है कि उन्हें पहाड़, जंगल, झरने और स्थानीय लोगों का सहयोग मिलता है...इसका मतलब यह कि नहीं हम नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब नहीं दे सकते...पश्चिम बंगाल के झारग्राम में हुए ताजा नक्सली हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है..नक्

लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सवाल ?

मीडिया के वे दिग्गज जिन्होंने कई मिसालें कायम की.अगर उनके तरफ से किसी प्रकार का दोयम दर्जे का काम किया जाता है..तो वह काफी झकझोरने वाला होता है..ऐसे ही दो दिग्गज इस समय सवालों के घेरे में हैं..बरखा दत्त और वीर सांघवी..केंद्रीय संचार मंत्री पद पर ए.राजा को काबिज कराने व संचार मंत्रालय से कारपोरेट घरानों को लाभ दिलाने के मामले में जिस माडर्न दलाल नीरा राडिया का नाम उछला है, उसकी फोन टेपिंग से पता चला है कि उसकी तरफ से बरखा दत्त और वीर सांघवी ने भी राजा को मंत्री बनाने के लिए शीर्ष कांग्रेसियों के बीच लाबिंग की.बरखा दत्त और वीर सांघवी पर आरोप लग रहे हैं कि साल 2009 में डीएमके नेता ए राजा के लिए संचार मंत्री बनाने के लिए कांग्रेसी नेताओं से लॉबिंग करने का,और वो भी एक दलाल नीरा राडिया के कहने पर. दरअसल इस पूरे प्रकरण में आयकर महानिदेशक के द्वारा जांच के बाद ये तथ्य सामने आये हैं की इन दोनों दिग्गज पत्रकारों के सम्बन्ध नीरा राडिया से रहे हैं.और नीरा के कहने पर इन लोगों ने लोकसभा चुनाव के बाद ए राजा के लिए लॉबिंग की..यूपीए सरकार का पहला कार्यकाल काफी पाक-साफ समझा गया था, जिसमें सिर्फ स्पेक्ट्

माओवादियों का सबसे बड़ा लाल सलाम...

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में सुरक्षाकर्मियों पर भयावह नक्सली हमले ने केन्द्र और राज्य सरकारों की नक्सल विरोधी रणनीति पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. साधना न्यूज की सशक्त रिपोर्टिंग और कवरेज से केन्द्र और राज्य सरकार की खामियां सामने आईं हैं. पिछले काफी समय से मैं नक्सल मामलों पर कवरेज करता आ रहा हूँ लेकिन जिस तरह से चिंतलनार में नक्सलियों ने खूनी खेल खेला....वह दिल को दहला देने वाला है. बस्तर का पूरा इलाका इस बड़ी त्रासदी के बाद स्तब्ध है. सभी यही सवाल कर रहे हैं कि कब तक हम सपूतों की मौत को शहीद बताकर माताओं की गोद सूनी करते रहेंगे...मासूमों के सिर से पिता क प्यार एवं सुहागिनों का सिंदूर उजड़ता देखेंगे..खुफिया तंत्र की निकम्मेपन के कारण आज इतनी बड़ी वारदात करने में नक्सली कामयाब हो गए..इसमें चूक कहां हो गई.. परत-दर-परत से साधना की टीम ने वह खबर सामने लाई.जिसकी दरकार लोगों को थी..साधना की पूरी टीम ने इस पूरे घटनाक्रम पर पैनी नजर रखी..एवं सरकार और पुलिस प्रशासन से कहां-कहां भूल हुई..उसको सामने लाया.घटनास्थल का दर्दनाक विजुअल सामने लाने से लेकर लाइव कवरेज तक में हमने प्रशासन को हिला कर र

कहां गए मानवाधिकार कार्यकर्ता ?

नक्सली हिंसा...शहीद होते हमारे जवान..और शहादत को सलाम करते हम लोग..यह क्रम कब तक चलता रहेगा..यह समझ से परे हैं...जब-जब हमारे जवान कोई बड़ी कार्रवाई करते हैं..तब-तब आदिवासियों का हितैषी बत्ताने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता खड़े हो जाते हैं..लेकिन जवानों के शहीद होने के बाद यही मानवाधिकार कार्यकर्ता चुप्पी साध लेते हैं..आखिर ऐसा क्यों...क्या जवानों का कोई अधिकार नहीं..नक्सली देश के प्रथम शत्रु हैं,लेकिन यह जानना कठिन है कि उन कथित बुद्धिजीवियों और मानवाधिकार समर्थकों के खिलाफ कड़ाई क्यों नहीं की जा रही जो नक्सलियों की खुली वकालत करने में लगे हुए हैं...ऐसे तत्व नक्सलियों का पक्ष लेने और यहां तक कि उनकी हिंसा जायज ठहराने के लिए नित-नए कुतर्क गढ़ रहे हैं और ऐसे गुमराह करने वाले सवाल भी उछाल रहे हैं...देश के लिए दंतेवाड़ा की घटना से लगे सदमे से उबरना आसान नहीं है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अक्सर कहते रहे हैं कि माओवादी देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं.दंतेवाड़ा जिले के मुकराना जंगल में जिस घातक ढंग से माओवादियों ने सीआरपीएफ़ के 76 जवानों की हत्या की, उससे इस बात का मतलब लोगों को अब