तेरा साथ हैं तो..मुझे क्या कमी है..अंधेरों से भी मिल रही..रोशनी है..ये रोशनी एक जीवन साथी के तौर पर मिल जाए तो क्या कहने..वह भी ऐसे मुकाम पर जब शारीरिक अपंगता जीवन में बतौर अंधेरा कायम हो..जो ठीक से अपने पैरों पर चल नहीं सकते हैं.अंधे होने के कारण जिनकी जिंदगी अंधेरों में गुजरी हो..ऐसे में जिंदगी में अगर रोशनी मिल जाए..और कोई ऐसा साथी मिल जाए..जिसका सहारा पूरी जिंदगी के लिए मिल जाए..तो फिर क्या कहने..जी हां 2011 का वेलेंटाईन डे राजधानी रायपुर में कुछ ऐसे जोड़ियों के लिए यादगार बन गया..जो शारीरिक रूप से असक्षम तो थे..लेकिन किसी ने उनका हाथ थामा..और पूरी जिंदगी साथ निभाने का वादा किया...कुछ बॉलीवुड की फिल्म मन की तरह..इस फिल्म में अपने पैर खो चुके मनीषा कोइराला को आमिर खान द्वारा अपने गोद में लेकर अग्नि के सात फेरे लेते..रील लाइफ की यह कहानी रियल लाइफ में कुछ इसी तरह देखने को मिली..जब रायपुर के आशीर्वाद भवन में 51 विकलांग जोड़ियां शादी के बंधन में बंधे..इनमें से एक जोड़ा ऐसा था..जिसमें दुल्हन वैष्णवी की पैर नहीं था..और दूल्हा संजय तिवारी ने उसे गोद में लेकर अग्नि के सात फेरे लिए..और ज
अफसानें होते हैं... सुनने और सुनाने के.. पढ़ने और पढ़ाने के... आपका, मेरा मेरी जिंदगी का... मेरी पत्रकारिता का... यह अफसाना कहता हूँ सुनाता हूँ जो खोया है वो बताता हूँ कहां-कहां से ढूँढ़ता हूँ मिलते हैं जहाँ जहाँ से सिर्फ-सिर्फ अफसानें हमारे तुम्हारे मिलते हैं मुस्कुराते हैं अफसाने और कुछ कह जाते हैं अफसाने