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Showing posts from February, 2011

शरीर से अधूरे दिल से पूरे

तेरा साथ हैं तो..मुझे क्या कमी है..अंधेरों से भी मिल रही..रोशनी है..ये रोशनी एक जीवन साथी के तौर पर मिल जाए तो क्या कहने..वह भी ऐसे मुकाम पर जब शारीरिक अपंगता जीवन में बतौर अंधेरा कायम हो..जो ठीक से अपने पैरों पर चल नहीं सकते हैं.अंधे होने के कारण जिनकी जिंदगी अंधेरों में गुजरी हो..ऐसे में जिंदगी में अगर रोशनी मिल जाए..और कोई ऐसा साथी मिल जाए..जिसका सहारा पूरी जिंदगी के लिए मिल जाए..तो फिर क्या कहने..जी हां 2011 का वेलेंटाईन डे राजधानी रायपुर में कुछ ऐसे जोड़ियों के लिए यादगार बन गया..जो शारीरिक रूप से असक्षम तो थे..लेकिन किसी ने उनका हाथ थामा..और पूरी जिंदगी साथ निभाने का वादा किया...कुछ बॉलीवुड की फिल्म मन की तरह..इस फिल्म में अपने पैर खो चुके मनीषा कोइराला को आमिर खान द्वारा अपने गोद में लेकर अग्नि के सात फेरे लेते..रील लाइफ की यह कहानी रियल लाइफ में कुछ इसी तरह देखने को मिली..जब रायपुर के आशीर्वाद भवन में 51 विकलांग जोड़ियां शादी के बंधन में बंधे..इनमें से एक जोड़ा ऐसा था..जिसमें दुल्हन वैष्णवी की पैर नहीं था..और दूल्हा संजय तिवारी ने उसे गोद में लेकर अग्नि के सात फेरे लिए..और ज

मीडिया ने मिलाया बिछुड़ों को, अगवा जवान हुए रिहा

 अग्निवेश की मध्यस्थता और मीडिया की पहल रंग लाई : छत्तीसगढ़ में मीडिया ने सराहनीय कदम उठाया है. मीडिया ने स्वामी अग्निवेश की मदद से उन चेहरे पर खुशियां लौटाई है जिनके चेहरे मुरझा चुके थे. जिन्होंने अपनों को पाने का आस छोड़ दिया था. जिन्हें सभी तरफ से मायूसी हाथ लगी थी. जिन्होंने अपना माथा हर उस चौखट पर टेका जहां से उन्हें उम्मीद की किरण नजर आ सकती थी. लेकिन यह किरण भी उनकी आंखों से ओझल होती जा रही थी. ऐसे में मीडिया की पहल से स्वामी अग्निवेश वह उम्मीद की किरण बन कर आए जिसकी तलाश सभी को थी. लिहाजा 18 दिनों से नक्सलियों के चंगुल में रहे जवानों की रिहाई संभव हो सकी. 26 जनवरी के ठीक एक दिन पहले नक्सलियों ने नारायणपुर से पांच जवानों को अगवा कर लिया था. इन जवानों को छुड़ा पाने में जहां सरकार बेबस नजर आई वहीं अगवा जवानों के परिजन लाचार भटकते रहे. ऐसे में मीडिया उन परिजनों का सहारा बना जो असहाय और लाचार थे. मीडिया की मेहनत रंग लाई औऱ 18 दिन बाद आखिरकार नक्सलियों ने अपहृत जवानों को रिहा कर दिया. रिहाई के बाद जब अपहृत जवान अपने परिजनों से मिले तो दोनों के आखों से खुशी के आंसू छलक पड़े. करियाम