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Showing posts from February, 2010

मैसेज ऑफ खान.....

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना...सच्चे लगन के साथ किया गया काम जरूर सफल होता है..एवं नफरत अंदर ही अंदर किसी व्यक्ति के वजूद को खत्म करने का काम करती है...इन्हीं संदेशों को रूपले पर्दे पर सजीव करने का काम किया है...करण जौहर ने.अपनी फिल्म माई नेम इज खान के जरिए...ज्यादातर लोग धर्म के आधार पर राय बनाते हैं कि वह इंसान अच्छा है या बुरा है.9-11 के बाद इस तरह के लोगों की संख्या में जबर्दस्त इजाफा हुआ...अमेरिका और यूरोप में एशियाई लोगों के प्रति अन्य देशों के लोगों में नफरत बढ़ी....'टि्‌वन टॉवर्स' पर हमला करने वाले मुस्लिम थे, इसलिए सारे मुसलमानों को संदेह की दृष्टि से देखा जाने लगा....जबकि व्यक्ति का अच्छा या बुरा होना किसी धर्म से संबंध नहीं रखता है....माई नेम इज खान  में बरसों पुरानी सीधी और सादी बात कही गई है....दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं अच्छे या बुरे...इस लाइन के इर्दगिर्द निर्देशक करण जौहर और लेखिका शिबानी बाठिजा ने कहानी का तानाबाना बुना है.....उपरोक्त बातें यदि सीधी-सीधी कही जाती तो संभव है कि 'माई नेम इज खान' डॉक्यूमेंट्री बन जाती और शायद लोगों तक बात नहीं

मेड फॉर इच अदर...

वैलेंटाइन डे प्यार के गीत गाने का दिन..मुहब्बत में डूबकर गुनगुनाने का दिन...वैलेंटाइन डे को प्यार, मोहब्बत का इजहार करने का दिन माना जाता है..इस दिन जहां प्यार करने वाले एक दूसरे को अपने प्यार का एहसास दिलाते हैं,वहीं कुछ लोगों के लिए अपने प्यार का इजहार करने का यह सबसे खूबसूरत समय होता है...पश्चिमी सभ्यता से इस तरफ आए वेलेंटाईन डे को कोई प्यार का पर्व कहता है तो कोई इसे टीन एजर्स व भारत की युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट करने का मायाजाल..कोई कहता है कि प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए कोई स्पेशल दिन मुकर्र करने की भला क्या आवश्यकता है तो कोई तर्क देता है कि अन्य उत्सव मनाए जाने के लिए एक दिन सुनिश्चित किया गया है तो प्रेम पर्व वैलेंटाईन डे को एक खास दिन मनाए जाने में हर्ज ही क्या है..ऐसे में 2010 का वैलेंटाइन डे मेरे लिए कई मायनों में इन्हीं सब बातों को जानने का दिन रहा.......जिसे मैंने काफी गहराई से समझा...मैं शारीरिक रूप से असमर्थ युवक-युवतियों की शादी में पहुँचा...जहां इस दिन ये शारीरिक अपंग अपने जीवन साथी को चुन रहे थे..और उनके हौंसले देखकर मैं खुद दंग रह गया...जिस तरह से संत वैलेंटाइन ने प्रेमी

भ्रष्टाचार का बोलबाला

हमारे देश में क्या हो रहा है..जहां एक औऱ सफेदपोश अपनी तिजोरी भरते जा रहे हैं...वहीं देश की बागडोर संभालने वाले लालफीताशाही भी इसमें पीछे नहीं हैं..छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के आईएएस अफसरों के विरुद्ध आयकर विभाग के छापों ने एक बार फिर इन नौकरशाही पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है..नौकरशाही में भ्रष्टाचार के किस्से अब चौंकाने वाले नहीं रह गए..ये वैसे नौकरशाह हैं..जो ऐसे अजगर हैं..जिनके लिए सारा ईमान अपना तिजोरी भरना है...लेकिन जिस तरह से आम जनता के पैसों को इन्होंने अपनी तिजोरी भरने में पूरी ताकत लगा दी..क्या इन नौकरशाहों ने कभी सोचा कि इन्होंने कितनी लाशों पर अपने पैर रखकर ये पूरा काम किया है..अगर इसके आंकड़े निकाले जाए तो काफी चौंकाने वाले हैं..ये बाते मैं हवा हवाई में नहीं कर रहा..इसके पीछे मेरे भी तर्क है...उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ के कृषि सचिव बाबूलाल अग्रवाल को लेते हैं...जिनके स्वास्थ्य सचिव रहते विभाग में इतने घोटाले हुए..जिसे छत्तीसगढ़ के घोटालों का विभाग कहा जाता है...मलेरिया कीट, कलर डॉप्लर, माइक्रोस्कोप, सीरिंच एवं स्प्रे पंप औऱ न जाने क्या..क्या...अग्रवाल के स्वास्थ्य विभाग के का