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Showing posts from May, 2010

आखिर कब तक !

नक्सलियों की एक बाद एक खौफनाक और दिल को दहला देनेवाली वारदातें..जो देश के दिल पर एक ऐसा घाव छोड़ गया है...जिसको भर पाना काफी मुश्किल हैं...लेकिन हमारे राजनेता न जाने क्यों..अपने बयानबाजी से बाज नहीं आते..जो मन में आ रहा है..बोले जा रहे हैं...लेकिन कोई भी नक्सली समस्या के हल के बारे में  सार्थक बात नहीं करता..नक्सली समस्या..हमारे सामने ऐसा विकराल रूप लेगा..ऐसा किसी ने सोचा न होगा..लेकिन इस समस्या ने न सिर्फ विकराल रूप लिया है..बल्कि यह एक ऐसी चुनौती बन गई है..जिसे निपट पाना हमारे सरकारों के लिए मुश्किल भरा है...एक के बाद एक नक्सली अपनी वारदातों को अंजाम देते जा रहे हैं.और हमारे पास इसका कोई ठोस जवाब नहीं..नक्सलियों की रणनीति सफल होती जा रही है..और हमारी असफल..आखिर हमारी रणनीति में चूक कहां है..जिसके कारण मुठ्ठी भर नक्सली हमारी सुरक्षा तंत्र पर भारी पड़ रहे हैं...यह सच है कि उन्हें पहाड़, जंगल, झरने और स्थानीय लोगों का सहयोग मिलता है...इसका मतलब यह कि नहीं हम नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब नहीं दे सकते...पश्चिम बंगाल के झारग्राम में हुए ताजा नक्सली हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है..नक्

लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सवाल ?

मीडिया के वे दिग्गज जिन्होंने कई मिसालें कायम की.अगर उनके तरफ से किसी प्रकार का दोयम दर्जे का काम किया जाता है..तो वह काफी झकझोरने वाला होता है..ऐसे ही दो दिग्गज इस समय सवालों के घेरे में हैं..बरखा दत्त और वीर सांघवी..केंद्रीय संचार मंत्री पद पर ए.राजा को काबिज कराने व संचार मंत्रालय से कारपोरेट घरानों को लाभ दिलाने के मामले में जिस माडर्न दलाल नीरा राडिया का नाम उछला है, उसकी फोन टेपिंग से पता चला है कि उसकी तरफ से बरखा दत्त और वीर सांघवी ने भी राजा को मंत्री बनाने के लिए शीर्ष कांग्रेसियों के बीच लाबिंग की.बरखा दत्त और वीर सांघवी पर आरोप लग रहे हैं कि साल 2009 में डीएमके नेता ए राजा के लिए संचार मंत्री बनाने के लिए कांग्रेसी नेताओं से लॉबिंग करने का,और वो भी एक दलाल नीरा राडिया के कहने पर. दरअसल इस पूरे प्रकरण में आयकर महानिदेशक के द्वारा जांच के बाद ये तथ्य सामने आये हैं की इन दोनों दिग्गज पत्रकारों के सम्बन्ध नीरा राडिया से रहे हैं.और नीरा के कहने पर इन लोगों ने लोकसभा चुनाव के बाद ए राजा के लिए लॉबिंग की..यूपीए सरकार का पहला कार्यकाल काफी पाक-साफ समझा गया था, जिसमें सिर्फ स्पेक्ट्