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Showing posts from April, 2011

इस 'नत्था' का तो पूरा खानदान जहर खाकर मर गया

शासन-प्रशासन को था मौत का इंतजार... रीयल लाइफ की नत्था जैसी स्टोरी में नहीं बच सका कुछ... नत्था जैसे सभी किरदार भ्रष्ट तंत्र की भेंट चढ़ गए : छत्तीसगढ़ के भिलाई में शासन और प्रशासन कुछ लोगों के मौत का इंतजार करता रहा.. जिन्होंने कुछ दिन पहले अपने-आप को कमरे में कैद कर मौत को गले लगाने का फरमान जारी किया था.. लेकिन मौत के इस फरमान के बाद न प्रशासन जगा.. न वे लोग जागे जिनकी वजह से इन सभी को आत्मघाती कदम उठाना पड़ा.. मीडिया में यह खबर लगातार सुर्खियों में बनी रही.. लेकिन शासन और प्रशासन में बैठे लोग इसे ब्लैकमेलिंग का नाम देते रहे.. तो कोई अपनी मांग मनवाने का नया तरीका.. दरअसल भिलाई में नौकरी न मिलने से परेशान एक परिवार के पांच सदस्‍यों ने जहर खा लिया.. जहर खाने से परिवार के चार सदस्‍यों की तो मौके पर मौत हो गई जबकि एक जिदंगी और मौत के बीच संघर्ष करता रहा. मरने वालों में मां और तीन बेटियां शामिल हैं.. तीनों बेटियों ने मरने से पहले सुसाइड नोट भी लिखा है जिसमें उन्होंने सेल की भिलाई स्टील प्लांट के अधिकारियों को उनकी मौत का जिम्मेदार बताया है. सुसाइट नोट मिलने के बाद भी बीएसपी के अधिकारियो

मीडिया को भी अन्नागीरी की जरूरत

भ्रष्टाचार..एक ऐसी समस्या जिसका हल ढूंढते नजर आ रहे हैं..वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं गांधीवादी नेता अन्ना हजारे..लेकिन क्या दीमक की तरह खोखला कर रहे इस देश को भ्रष्टाचार रूपी कीड़े से बचाया जा सकता है..जिसने अपना पैर पुरजोर तरीके से लोकतंत्र के सभी स्तंभों में जमा लिया है..हमारा देश लोकतांत्रिक देश है..लोकतंत्र..एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें जनता अपना शासक खुद चुनती है..और जहां लोगों को जीने की आजादी हो और लोगों के अधिकारों का हनन न हो... लोकतंत्र के तीन मुख्य स्तम्भ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में सर्वजन ने प्रेस अर्थात मीडिया को स्वीकार किया है..लेकिन क्या भारत में ये सारे स्तंभ सही रूप से काम कर रहे हैं..क्या भ्रष्टाचार ने सिर्फ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को ही जकड़ा है..मीडिया क्या इससे अछूता है..शायद नहीं..मीडिया में भी भ्रष्टाचार उतना ही व्यापत है..जितना लोकतंत्र के बाकी स्तंभों में..ऐसे में पुरजोर तरीके से भ्रष्टाचार की आवाज उठाने वाले तथाकथित लोकतंत्र के इस स्तंभ के लिए भी एक ड्राफ की जरूरत है..जिसके जरिए भ्रष्टाचार में

महाविजय की महागाथा.........विश्व विजय के अविस्मरणीय पल

भारत के स्वाभिमान की जीत...धोनी के धुरंधर बने विश्व विजेता..

चक दे इंडिया...चक दे इंडिया..आखिरकार इंडिया ने विश्वकप के फाइनल में लंका दहन कर ही डाला..जीत की खुशी भारतीय खिलाड़ियों के चेहरे पर ऐसी थी.मानो उनके आंखों से आंसू के रूप में मोती गिर रहे हो..ये अनमोल मोती उन्होंने 1 अरब 21 करोड़ देशवासियों के सुपुर्द किया..भारतीय क्रिकेट के इतिहास में दो अप्रैल का स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया है..धोनी के धुरंधरों ने वही कारनामा कर दिखाया जो कपिल देव के जांबाजों ने 1983 में लार्ड्स में वेस्टइंडीज को हराकर दिखाया था..धोनी के जांबाजों में चार पूर्व चैंपियनों को एक के बाद एक ध्वस्त करते हुए वानखेडे में तिरंगा लहरा दिया..धोनी ने विश्व विजयी छक्का मारकर करोड़ों भारतीयों को जश्न मनाने का मौका दिया..धोनी के छक्का मारते ही सारे भारतीय खिलाड़ी मैदान में कूद पड़े और सबने एक-दूसरे को गले लगा लिया..इस छक्के के लगते की पूरे देश में आतिशबाजी से आसमान जगमगा उठा..यह जीत हरेक भारतीय के स्वाभिमान की जीत थी.सोने, चांदी और हीरों से जगमगाता आईसीसी विश्व कप को टीम इंडिया ने शनिवार रात उस वक्त फिर से जीत लिया जब उसने इस प्रतियोगिता के फाइनल में श्रीलंका को मात दी..इस जीत से ए