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Showing posts from August, 2011

बॉडीगार्ड एक प्रेम कहानी

फिल्म बॉडीगार्ड एक प्रेम कहानी है..और इसका क्लाइमैक्स काफी दमदार है..इस फिल्म को सलमान की एक्टिंग और एक बेहतरीन क्लाइमैक्स के लिए जाना जाएगा..फिल्म में लवली सिंह एक बॉडीगार्ड है और वह एक ही एहसान चाहता है कि उस पर किसी किस्म का एहसान ना किया जाए..उसे दिव्या की रक्षा का जिम्मा सौंपा जाता है..परछाई की तरह लवली उसके साथ लग जाता है और इससे दिव्या परेशान हो जाती है..लवली से छुटकारा पाने के लिए दिव्या फोन पर छाया बनकर लवली सिंह को प्रेम जाल में फांसती है..लवली भी धीरे-धीरे छाया को बिना देखे ही चाहने लगता है..किस तरह से दिव्या अपने ही बुने हुए जाल में फंस जाती है यह फिल्म का सार है..कुछ बढ़िया एक्शन दृश्यों के बाद प्रेम कहानी शुरू हो जाती है..फर्स्ट हाफ तक तो ठीक लगता है, लेकिन इसके बाद यह खींची हुई लगने लगती है..लेकिन क्लाइमेक्स में कई उतार-चढ़ाव आते हैं जिससे दर्शक एक बार फिर फिल्म से बंध जाता है..फिल्म के अंत में कई संयोग देखने को मिलते हैं, और एक सुखद क्लाइमैक्स भी..कहानी कई सवाल उठाती हैं, जिसमें सबसे अहम ये है कि दिव्या जब सचमुच में लवली को चाहने लगती है तो वह असलियत बताने में इतना वक्त

आरक्षण नहीं शिक्षा की जरुरत

राजनीति के बाद निर्देशक प्रकाश झा ने एक बार फिर अपनी फिल्म आरक्षण के जरिए समाज से जुड़े एक अहम मुद्दे को उजागर किया है..ये फिल्म अलग-अलग नजरिए से हमें दिखाती है कि आरक्षण पर होने वाली राजनीति का शिकार अंत में आम जनता ही होती है..फिल्म में अमिताभ का डॉयलाग भारत में दो भारत बसते हैं..सहित कई संवाद दिल को झंकझोरने के लिए काफी है..फिल्म दो वर्ग की खाई को पाटने वाली है तोड़ने वाली नहीं..फिल्म में ये संदेश दिया गया है कि समाज के विकास के लिए एक मात्र रास्ता हर वर्ग, हर जाति के बच्चे को शिक्षा का बेहतर मौका देना है...ये प्रतिक्रिया महज सामान्य वर्ग के लोगों की ही नहीं हैं, जिस वर्ग के साथ मजाक किए जाने की बात कही जा रही है..फिल्म काफी अच्छी है, उसमें दो वर्गो को लड़ाने वाली बात पूरी तरह गलत है, इस फिल्म में बिहार के सुपर-30 की झलक दिखाई देती है.. फिल्म में प्रभाकर आनंद (अमिताभ बच्चन) और सुपर-30 के आनंद कुमार के पढ़ाने की शैली एक है..अमिताभ का फिल्म में गणित (मोड जेड =1) की पढ़ाई यहां के गणितज्ञ आनंद से बिल्कुल मिलती-जुलती है...इस फिल्म की शूटिंग के पूर्व फिल्म के निर्देशक प्रकाश झा ने सुपर-30

पत्रकारों का एनकाउंटर करने पर अमादा छत्तीसगढ़ पुलिस...

छत्तीसगढ़ में पुलिस बेखौफ हो गई है..कभी खुलेआम पुलिस अपने मातहत अधिकारियों के सामने गार्ड को लात-घूंसे से मारती हैं..तो कभी बीच सड़क पर पत्रकारों पर अपनी दबंगई दिखाती है..नक्सल मोर्चे पर छत्तीसगढ़ पुलिस की फर्जी मुठभे़ड़ की कई दास्तां जगजाहिर है..लेकिन अभी तक बेकसूर आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराने वाली छत्तीसगढ़ पुलिस के निशाने पर आम लोगों की आवाज उठाने वाले पत्रकार हैं..छत्तीसगढ़ के दूरस्थ आदिवासी अंचलों में पुलिस की फर्जी मुठभेड़ की लंबी फेहरिस्त है..लेकिन अब छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आदिवासी अंचलों में पुलिस के फर्जी मुठभेड़ों को सामने रखने वाले पत्रकारों को उनका एनकाउंटर कर देने की धमकी देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है.. दरअसल गुरूवार दोपहर जब छत्तीसगढ़ पुलिस के तमाम अधिकारी अपने चैंबर में पहुँचकर अपने काम में मशगूल हो गए..तब इन तमाम अधिकारियों के गनमैन और ड्राइवर ने पुलिस मुख्यालय को जुए का अड्डा बना दिया..ऐसे में साधना न्यूज मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए पुलिस मुख्यालय में जवानों द्वारा लंबे-लंबे जुए का दांव लगाते हुए