15 जवानों ने पत्रकार वैभव और सुरेंद्र पर अपना 'पौरुष' दिखाया : सड़क-सड़क पर गिरा-गिरा कर बुरी तरह पीटा : 'दबंग' फिल्म देखकर निकल रहे कप्तान ने गार्ड को मरवा दिया : छत्तीसगढ़ पुलिस की दबंगई बढ़ती जा रही है. एक महीने पहले ही बिलासपुर में एसपी की मौजदूगी में सिनेमाघर के गार्ड पर कहर बरपाने के बाद वर्दी के इन गुंडों ने भिलाई के पत्रकार को अपना निशाना बनाया. ईटीवी के संवाददाता वैभव पांडे और जी24 घंटे के कैमरामैन इस बार पुलिसिया दंबगई के शिकार बने. 15-15 पुलिसवालों ने मिलकर लात-घूसे और लाठी-डंडों से पत्रकारों को पिटा. ईटीवी के संवाददाता पर पुलिसिया कहर इस तरह बरपी की वह इस समय भिलाई के एक निजी अस्पताल में भर्ती है. उसके दोनों हाथ और पैरों में गंभीर चोटें आई हैं. पुलिसवालों की इस दबंगई के बाद भी किसी भी जिम्मेदार अधिकारी ने इस बारे में कुछ खास चिंता नहीं जताई है.
इस मामले की लीपा-पोती शुरू कर दी गई है. आखिर छत्तीसगढ़ पुलिस को किसने हक दे दिया है कि वह आम लोगों और आम लोगों की आवाज उठाने वाले पत्रकारों को अपना निशाना बनाये. नक्सल मामलों पर छत्तीसगढ़ पुलिस अभी तक फिसड्डी ही साबित हुई है और इससे बढ़कर यह कि छत्तीसगढ़ पुलिस की खाकी पर कई बदनुमा दाग लग चुके हैं. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ पुलिस के मातहत अधिकारी इस बारे में खास चिंतित नहीं दिखते. भिलाई में बुधवार शाम जो भी हुआ वह खाकी को शर्मसार करने के लिए काफी है. दरअसल ईटीवी के संवाददाता वैभव पांडे और जी24 घंटे के पत्रकार एक कवरेज के लिए भिलाई पुलिस कैंप से गुजर रहे थे. तभी कैंप के पास एक महिला को बचाने के चक्कर में सीएएफ के पहली बटालियन का एक जवान भारी वाहन के नीचे आ गया जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई. इसके बाद कैंप के गुस्साए जवानों ने जमकर तबाही मचाई. उस रास्ते से गुजरने वाली गाड़ियों में तोड़फोड़ और लोगों से अभद्रता की. इस पूरे मामले को पत्रकार होने के नाते वैभव पांडे और सुरेन्द्र अपने कैमरे में कैद करने लगे जिसे जवानों ने देख लिया. इसके बाद हुजूम में मौजूद जवानों का गुस्सा पत्रकारों पर बरस पड़ा और उन्होंने इन दोनों पत्रकारों की जमकर धुनाई कर दी. खासकर ईटीवी के संवाददाता वैभव पांडे को सड़क पर लोटा-लोटा कर पीटा. पुलिस की हैवानियत को वहां खड़े लोगों को भी स्तब्ध कर दिया.
छत्तीसगढ़ पुलिस की गुंडागर्दी लगातार बढ़ती जा रही है. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में 12 सितंबर को भी पुलिस के जवानों ने एक सिनेमाघर के गार्ड को पीट-पीटकर मार डाला था. ये जवान शहर के पुलिस कप्तान यानी एसपी साहब की सुरक्षा में लगे हुए थे. गार्ड की ग़लती यह थी कि उसने सादे कपड़ों में सिनेमा देखने पहुँचे एसपी साहब को नहीं पहचाना और उन्हें सही रास्ते से बाहर निकलने की सलाह दे दी. जवानों को यह बर्दाश्त नहीं हुआ. कप्तान साहब अपने जवानों के साथ फ़िल्म दबंग फिल्म देखकर निकल रहे थे. तभी पुलिस ने गार्ड पर दबंगई दिखाई जिससे गार्ड की मौत हो गई. पुलिस पर प्रताड़ना के आरोप कोई नई बात नहीं है. पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए कई आयोग बने और सिफारिशें अमल में लाई गई. लेकिन सारी कवायद ढाक के तीन पात ही रहे हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ पुलिस की बढ़ती दबंगई पर कब लगाम लग पाएगी, यह किसी को नहीं पता.
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