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कानून अभी जिंदा है ‘सुल्तान’

सलमान सेलिब्रिटी है। सैकड़ों दिल की धड़कन हैं। काला हिरण शिकार केस में जब उन्हें सजा सुनाई गई तो किसी ने इस फैसले का स्वागत किया तो किसी ने उनको जमानत मिल जाने को लेकर दुआएं की। लोगों की दुआओं का असर भी दिखा। सलमान खान को काला हिरण मामले में आखिरकार जमानत मिली और 2 रातों से जोधपुर सेंट्रल जेल में कैदी नंबर 106 बनकर रह रहे सलमान खान जेल से बाहर आ गए।  इस पूरे प्रकरण में सोशल मीडिया में  मजेदार रिएक्शन सामने आए।कई लोग सलमान के खिलाफ आए इस फैसले से नाराज नजर आए, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि कानून हर किसी के लिए बराबर होना चाहिए। खैर सोशल ट्रेंड को समझा जाए तो कई ने लिखा -  "काले हिरण का जीवनकाल: 10 से 15 साल, काले हिरण को मारने के बाद कोर्ट में केस का जीवनकाल: 20 साल" वहीं गुस्से में लोगों ने पोस्ट किया -हिरण को तो इंसाफ मिल गया, सलमान की कार से मरे इंसानों का क्या? लोगों ने खुलकर सोशल मीडिया पर अपनी बातों को रखा।   यह तो रही सोशल मीडिया की बातें। लेकिन सलमान को सजा सुनाए जाने के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने यह कहकर एक नया विवाद पैदा कर दिया है
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एक पत्रकार के सवालों से बौखलाए रामदेव, पत्रकार को बताया दिग्विजय का दूत

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बाबा रामदेव 3 अक्टूबर को मतदाता जागरूकता अभियान का शंखनाद करने तो पहुँचे..लेकिन जागरूकता अभियान की आड़ में वो प्रधानमंत्री  डॉ.मनमोहन सिंह, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी पर बरसते नजर आए..उन्होंने भ्रष्टाचार में डूबी सरकार पर तंज कसे.. रायपुर प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में जब एक पत्रकार ने तमाम भ्रष्टाचार की बातों के बीच बाबा रामदेव से उनके दो ट्रस्ट पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट और दिव्य योग मंदिर का टर्नओवर और बाबा द्वारा टैक्स भरे जाने से संबंधित सवाल किया तो बाबा की भौंहे तन गई. उन्होंने  कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह द्वारा उस पत्रकार को भेजे जाने की बात कहकर अपना बचाव करते नजर आए..उन्होंने उस पत्रकार पर ही सवाल खड़े करते हुए कहा कि क्या तुम्हें दिग्विजय सिंह ने भेजा है.. बाबा रामदेव छत्तीसगढ़ मतदाताओं को को जागरूक करने तो पहुँचे हैं..लेकिन जब उनके ट्रस्ट के आय-व्यय और टैक्स भरे जाने को लेकर एक पत्रकार सवाल कर रहा था तो वो अपनी वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों की बात कहकर उस पत्रकार की अनभिज्ञता पर सवाल उठाने लगे..यह

प्रधानमंत्री के कितने नाम.. रोबोट, देहाती औरत, नामर्द....! पद की गरिमा को लेकर सोचने की जरूरत

भारत के प्रधानमंत्री पद की कोई गरिमा नहीं रह गई है..जो चाहे इस गरिमा को तार-तार करने में लगा हुआ है..आज योगगुरू बाबारामदेव ने प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह को नामर्द बोल दिया..तो कई देहाती औरत कह देता है..तो कोई प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह द्वारा लाए जा रहे अध्यादेश पर ही सवाल खड़े कर रहा है.कभी उन्हें रोबोट कहा जाता है..तो कभी और न जाने क्या-क्या कहते हैं.. जहां एक और पिछले शुक्रवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली के प्रेस क्लब में अपने ही सरकार द्वारा लाए जा रहे अध्यादेश पर सवाल उठाए...तो वहीं गुरूवार को रायपुर प्रेस क्लब में योगगुरू बाबारामदेव ने प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह को नामर्द बोल दिया..इसके पहले भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने मनमोहन सिंह के प्रति अगाध समर्थन का इज़हार करते हुए कहा था कि अगर राहुल गांधी प्रधानमंत्री की गरिमा नहीं घटाते तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की हिम्मत नहीं पड़ती कि वो भारत के प्रधानमंत्री को देहाती औरत कहते. वहीं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रा

नक्सली गढ़ में साधना न्यूज

नक्सलियों के गढ़ में सबसे पहले पहुँची साधना न्यूज की ओवी : नक्सलियों ने ली ओवी की तलाशी : कलेक्टर के अपहरण के मामले को लेकर तमाम अटकलों पर लगाया विराम : नक्सलियों के दुर्गम इलाकों से साधना न्यूज की लाइव तस्वीरें. साधना न्यूज मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन की रिहाई के कवरेज को लेकर एक बार फिर अपने दर्शकों के विश्वास पर खड़ा उतरा है..प्रदेश के दर्शकों के अलावा नेशनल इलेक्ट्रानिक मीडिया ने भी साधना न्यूज की खबरों को तवज्‍जो दिया.. कलेक्टर के अगवा होने के पहले ही दिन से साधना न्यूज ने सधी और सटीक खबरें दिखाई. साधना न्यूज ने छत्तीसगढ़ के दुर्गम नक्सली क्षेत्र सुकमा के ताड़मेटला से लाइव तस्वीरें दिखाकर अटकलों पर विराम लगाया.. साधना न्यूज की पूरी टीम ने हिम्मत और दिलेरी के साथ लालगढ़ में कदम रखा.. जिसका नतीजा यह हुआ है कि माओवादियों ने साधना न्यूज को अपना पहला इंटरव्यू दिया.. जिस इंटरव्यू ने कई मीडिया हाउसेस में चल रहे तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया.. इस इंटरव्यू को कई पत्रकारों ने फर्जी भी करार दिया.. कई ने सराहा भी.. लेकिन इन सबके बीच किसी ने यह पूछने की जहमत नहीं समझी

चुनाव पर राजनीति की बिसात

पांच राज्यों में हो रहे चुनाव में सभी पार्टियों ने अपने तरकश से तीर निकाल कर कमान कस ली है..वादों और प्रतिवादों का दौर जारी है..लोकलुभावन वादों से जनता का दिल जीतने की भरपूर कोशिश की जा रही है..कोई राम के नाम पर वोट मांग रहा है..तो कोई अल्लाह के नाम पर अपनी किस्मत अजमा रहा है..चुनावी मौसम में हर रोज रंग बदलते दिख रहे हैं..कोई किसी को जमीनी हकीकत से रूबरू करा रहा है..तो कोई स्थानीय और बाहरी मुद्दों पर अपनी रोटी सेंक रहा है...हर पार्टी पांच साल के लिए सत्ता में आने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रही है..पांच राज्यों में हो रहे चुनावों की बिसात पर चालें चली जा चुकी है..सभी मोहरे अपनी-अपनी जगह पर दम भर रहे हैं.....दे-दे वोट दे दे..हर पार्टी यही अलाप कर रही है..लेकिन सबसे बड़े इस लोकतंत्र में बाजी तो जनता के हाथ में है..जो चुपचाप और खामोशी से सभी पार्टियों की दलीलें सुन रही है..धर्म के नाम पर तो वोट बटोरने की पुरजोर कोशिश की जा रही है..लेकिन जिस तरह बिहार में जात-पात की राजनीति को वहां के मुआम ने दरकिनार कर दिया...और विकास को तरजीह दी..क्या इस बार ऐसा हो पाएगा...इस पर सब की नजर है...राजनीतिज्ञ विशे

पूर्वोत्तर की अनोखी शमां

  पूर्वोत्तर की मिलजुली संस्कृति के अनोखे संगम के साथ लोगों को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से रायपुर में सांस्कृतिक कार्यक्रम ऑक्टेव 2011 की बेमिसाल शुरूआत हुई..खुले आसमां तले तीन स्तरीय मंच पर पूर्वोत्तर का खनकदार नृत्य..अंग-अंग की खास भाव-भंगिमा का मोहक असर..मृदंग की थाप, बांसुरी की तान और झाल की झनक..नृत्यप्रेमियों का हुजूम..साथ में गुलाबी ठंड का सुहाना मौसम..मानो संध्या की धड़कन में पावों की थिरकन हो रही हो रवां..ऑक्टेव 2011 में पुलिस लाईन ग्राउंड में रंग-बिरंगी रोशनी के बीच जीवंत हो रहा था यह नजारा.. कार्यक्रम का आकर्षण पारंपरिक फैशन शो के रूप में सामने आई..इसमें आठों राज्य के लोगों ने अपने-अपने राज्य के परिधानों के साथ कैटवाक किया..नगालैंड, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय आदि प्रदेशों के कलाकारों ने भी अपने परिधानों से दर्शकों पर छाप छोड़ी..इसके बाद इन राज्यों के लोकनृत्यों की बारी थी..मणिपुर के थांग ता व ढोल ढोलक चोलम की प्रस्तुति..मणिपुर में याओशांग यानी होली के मौके पर इसकी प्रस्तुति की जाती है..भक्तिरस से परिपूर्ण इस नृत्य का प्रमुख

F1 रेस: रफ्तार का महासंग्राम

30 अक्टूबर रविवार दोपहर 3 बजे जिगर थाम के बैठने का समय आ गया था..जब इंडियन ग्रांप्री फॉर्मूला वन रेस में रविवार को विश्व के शीर्ष 24 फॉर्मूला वन ड्राइवरों के बीच रफ्तार की बादशाहत के लिए जबरदस्त होड़ देखने को मिली..क्रिकेट, हॉकी, कुश्ती, मुक्केबाज़ी, तैराकी, तीरदाज़ी तरह-तरह के खेलों से हम अच्छी तरह वाकिफ हैं..लेकिन भारत में इन दिनों जिस खेल की चर्चा है..वो है फ़ॉर्मूला वन.दरअसल 30 अक्तूबर को भारत में पहली बार फ़ॉर्मूला वन रेस आयोजित किया गया था..इसके लिए विशेष ट्रैक बनाया गया..इस रेस के दौरान कारें जब ३०० किमी./घंटा की रफ्तार से ट्रैक पर गुजरी तो उसके रोमांच को चाहे वो टीवी पर लाइव देख रहे हों..य़ा सजीव आंखों से..सभी कारों की कानफाड़ू गर्जना, हाई स्पीड फ्यूल से निकलता घना धुआं, ट्रैक पर उड़ती धूल और ट्रैक पर घिसटते टायरों के निशान के बीच जो ड्राइवर सबसे तेज समय निकालने में सफल हो रहा था..उसे देखकर सब आश्चर्यचकित हो रहे थे..इस खेल के बारे में मैंने बीबीसी से कुछ जानकारियां इक्ट्ठी की..जिससे मुझे इस खेल के बारे में कई रोचक बातें जानने को मिली.. फ़ार्मूला वन  ये खेल मोटर स्पोर्ट्स का हि