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Showing posts from November, 2009

एक शहर...पहचाना सा..

एक शहर...पहचाना सा.. लेकिन आज..अनजाना सा... सभी यहां हैं..अपना सा.. लेकिन अपनेपन में बेगाना सा.. सभी हैं..अपने-आप में खोयें-खोयें से.. शहर की गलियां वहीं.. चौक-चौराहें वहीं.. फिर भी लगती है...तन्हाई सी न जाने क्यों.. जिसे समझता था..अपना सा वह हो गया बेगाना सा.. एक शहर पहचाना सा... आज हो गया बेगाना सा...

सचिन बनाम बाल ठाकरे.......हिन्दी बनाम मराठी

जब दुनियाभर में सचिन के क्रिकेट जीवन के बीस साल पूरे होने पर उनकी क्रिकेट जीवन की इबारत लिखी जा रही थी..ठीक उसी समय....शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने सचिन के खिलाफ पार्टी के मुखपत्र सामना में जहर उगल कर अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश की... सचिन तेंदुलकर को मराठी मानूस वाले खांचे में फिट करने की कोशिश करके बाल ठाकरे ने जहां राष्ट्रीय एकता का अपमान किया है वहीं सचिन को भी नुकसान पहुचाने की कोशिश की है सचिन तेंदुलकर आज एक विश्व स्तर के व्यक्ति हैं. पूरे भारत में उनके प्रसंशक हैं. जगह-जगह उनके फैन क्लब बने हुए हैं. पूरे देश की कंपनियों से उन्हें धन मिलता है क्योंकि वे उनके विज्ञापनों में देखे जाते हैं. इस तरह के व्यक्ति को अपने पिंजड़े में बंद करने की बाल ठाकरे की कोशिश की चारों तरफ निंदा हो रही है. विधान सभा चुनावों में राज ठाकरे की मराठी शेखी की मदद कर रही, कांग्रेस पार्टी ने भी बाल ठाकरे की बात का बुरा माना है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, अशोक चह्वाण ने भी बाल ठाकरे को उनके गैर ज़िम्मेदार बयान के लिए फटकार लगाई है. . लगता है कि शिवसेना के बूढ़े नेता से नौजवानों के हीरो सचिन तेंदुलकर की अपील क

एक अनोखी कलम खामोश..

प्रभाष जोशी के निधन की खबर पाकर मैं स्तब्ध हूं..  वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी एक ऐसा खालीपन छोड़ गए हैं जिसकी भरपाई कर पाना मुश्किल होगा..पत्रकारिता जगत के सशक्त हस्ताक्षर प्रभाष जोशी के निधन से वह कलम खामोश हो गई है..जिससे निकली स्याही एक नई इबादत खड़ी करती थी...अखबारों के पन्नों पर जब वह स्याही उकेरती थी...तब मानो कई सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दे उद्वेलित हो उठते थे..प्रभाष जोशी के साथ जब मेरी रायपुर के एक होटल में उनसे मुलाकात हुई...तब मैंने सोचा भी नहीं था कि इस बार की चाय और मीडिया दुनिया की चुस्की उनके साथ मेरी आखिरी मुलाकात है..जोशी जी के साथ बिताई गई वह शाम मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा....जोशी जी ने बड़े प्यार से ही मेरे सिर पर हाथ फेरा था...और मुझे कई नेक सलाह भी दिए थे...उन्होंने आज की पत्रकारिता पर खेद प्रकट हुए कहा था कि आज की पत्रकारिता अपने पथ से भटक गई है...और इसके खिलाफ मैं हमेशा लिखता रहूँगा...हिन्दी पत्रकारिता के प्रमुख स्तंभ प्रभाष जोशी के निधन के साथ ही हिन्दी प्रत्रकारिता के एक युग का अवसान हो गया..उन्हें परंपरा और आधुनिकता के साथ भविष्य पर नजर रखने वाले पत्रकार के रू