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सबसे बड़ी दलाली की कहानी..मीडिया के जरिए...अब मीडिया की जुबानी

पौने दो लाख करोड़ का टू जी स्पैक्ट्रम घोटाला कोई एक दिन में नहीं हुआ है..हाई प्रोफाइल दलालों ने ए. राजा को दो बार संचार मंत्री बनाने के लिए पूरी लॉबिंग की. फोन टेप्स में सत्ता की सबसे बड़ी दलाली की कहानी..मीडिया के जरिए और मीडिया की जुबानी..केन्या में पैदा हुईं नीरा शर्मा दस साल की उम्र में ही अपने माता-पिता के साथ लंदन चली गई थीं..एक निजी अखबार ने जो जानकारियां इकट्ठी की है.उसके मुताबिक  नीरा के पिता भी सिविल एविएशन क्षेत्र से जुड़े थे..नीरा ने गुजराती मूल के ब्रिटिश व्यापारी जनक राडिया से शादी की, तीन बच्चे भी हुए लेकिन दोनों में तलाक हो गया और नीरा भारत आ गईं..वे दिल्ली के सबसे प्रतिष्ठित इलाकों में गिने जाने वाले छतरपुर के एक शानदार फार्म हाउस में रहती हैं..लंदन की मूल निवासी नीरा राडिया जब 1995 में भारत आईं तो उनके पास केवल एक लाख रुपए थे..सहारा समूह के लिए लाइजन से भारत में अपना कॅरिअर शुरू करने के बाद वे यूके एयर, केएलएम और सिंगापुर एयरलाइंस की भारत में प्रतिनिधि रहीं, लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा इतनी थी कि इस एक लाख रुपए से वे क्राउन एक्सप्रेस के नाम से खुद की एयरलाइन शुरू करना चाहती थीं..आखिर भारत पहुंचने के दो साल के अंदर ही केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अनंत कुमार उनके मित्रों की सूची में शरीक हो गए थे..वे चाहती थीं कि उन्हें हवाई जहाज खरीदने की इजाजत दे दी जाए..इसके बाद एयरलाइन शुरू करने के लिए जरूरी धन 100 करोड़ रुपए का इंतजाम अपने आप हो जाएगा..अनंत कुमार को सिविल एविएशन से हटाकर पर्यटन मंत्रालय दे दिया गया और क्राउन एक्सप्रेस को सरकार की सहमति नहीं मिल पाई...इसी दौरान उनकी मुलाकात रतन टाटा से हुई जिनका टाटा-सिंगापुर एयरलाइंस शुरू करने का प्रयास भी विफल हो गया था...दोनों में जान-पहचान इतनी बढ़ी कि 2001 में रतन टाटा ने टाटा समूह की सभी 90 कंपनियों का सरकार और मीडिया से लायजन (काम कराने या छपवाने का ठेका) राडिया को दे दिया..अगले नौ सालों में राडिया ने चार कंपनियां खोल दीं - वैष्णवी कम्यूनिकेशन, नोएसिस स्ट्रैटजिक कंसल्टिंग लिमिटेड, विटकॉम और न्यूकॉम कंसल्टिंग..2008 में देश के सबसे धनी आदमी - मुकेश अंबानी - ने भी अपने लिए लॉयजनिंग का काम उन्हें दे दिया..एक अनुमान के अनुसार उनकी चार कंपनियों के पास देश की 150 से भी अधिक बड़ी कंपनियों के लिए लायजनिंग का ठेका है और उनका सालाना व्यापार चार सौ करोड़ रुपए का हो गया है...आज देश के बड़े मंत्रियों, राजनीतिज्ञों, अधिकारियों से लेकर संपादक तक राडिया से फोन पर बात करते हैं....ए राजा के 2007 में दयानिधि मारन की जगह केंद्रीय संचार मंत्री बनते ही राडिया की उनसे मित्रता हो गई..दोनों ने मिलकर संचार विभाग की नीतियां इस प्रकार बनाईं और बार-बार तब्दील कीं कि उनसे केवल उन्हीं कंपनियों को फायदा मिला, जिन्हें राजा-राडिया चाहते थे..उनकी हरकतों की खबर आयकर विभाग को मिली जिसने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से राडिया की जांच करने की अनुमति मांगी...सीबीडीटी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से राडिया का फोन टेप करने की इजाजत ली और आयकर विभाग ने 2008-09 के दौरान राडिया के घर, दफ्तर और मोबाइल मिलाकर कुल नौ फोन तीन सौ दिनों तक टेप किए..जांच अधिकारियों ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पांच हजार टेप में से वे अभी केवल 3000 टेप सुन पाए हैं..इन 3000 में से लगभग 100 टेप मीडिया के हाथ लगे, जिन्हें पिछले हफ्ते अंग्रेजी की दो साप्ताहिक पत्रिकाओं ने छापा...जो टेप लीक हुए वे 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल बनने की प्रक्रिया के दौरान के हैं..इनमें राडिया संचार मंत्री राजा के अलावा कई पत्रकारों और अधिकारियों से बात करती सुनाई दे रही हैं...इनसे मालूम चलता है कि राडिया से बातचीत करने में कैसे बड़े और प्रभावशाली लोग उनके प्रभाव और दबाव में नजर आते हैं... उनमें से कुछ टेप के महत्वपूर्ण हिस्से हम यहां दे रहे हैं...इनमें से अधिकतर में वे सभी से राजा को संचार मंत्रालय दिलाने के लिए लॉबिंग कर रही हैं...इनमें एनडीटीवी की मैनेजिंग एडिटर बरखा दत्त और हिंदुस्तान टाइम्स के सलाहकार संपादक वीर सांघवी राडिया से यह वादा कर रहे हैं कि वे राजा के बारे में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अहमद पटेल और गुलाम नबी आजाद जैसे कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से बात करेंगे और यह भी कहेंगे कि दयानिधि मारन को कैबिनेट में न लिया जाए.... ये टेप सुप्रीम कोर्ट के पास हैं...आयकर विभाग और सीबीआई के बीच इन टेप को लेकर हुई खतोकिताबत के जरिए उन दोनों द्वारा की जा रही जांच का ब्योरा..ये बताते हैं कि राडिया, उनके सहयोगियों और मालिकों ने विदेशों से सैकड़ों करोड़ का लेन-देन किया, सरकार को मिलने वाले टैक्स का चूना लगाया और अपने विरोधियों और देश के खिलाफ आपराधिक षड़यंत्र रचे...नीरा राडिया और यूनीटेक वायरलेस जैसी कंपनियों - जिन्होंने टेलीकॉम लाइसेंस लेने के लिए जरूरी जानकारी छिपाई, झूठ और फरेब का सहारा लिया और देश को लाखों करोड़ का नुकसान पहुंचाया - से  जवाब मांगे गए..राडिया से 24 सवाल पूछे गए..चूंकि वे मुकेश अंबानी और रतन टाटा की भी प्रतिनिधि हैं, उनके सवाल भी राडिया से पूछे गए...यूनीटेक वायरलैस को 10 सवाल भेजे गए...कहीं से कोई जवाब नहीं आया..अनंत कुमार को सिविल एविएशन से हटाकर पर्यटन मंत्रालय दे दिया गया और क्राउन एक्सप्रेस को सरकार की सहमति नहीं मिल पाई..इसी दौरान उनकी मुलाकात रतन टाटा से हुई जिनका टाटा-सिंगापुर एयरलाइंस शुरू करने का प्रयास भी विफल हो गया था...दोनों में जान-पहचान इतनी बढ़ी कि 2001 में रतन टाटा ने टाटा समूह की सभी 90 कंपनियों का सरकार और मीडिया से लायजन (काम कराने या छपवाने का ठेका) राडिया को दे दिया..अगले नौ सालों में राडिया ने चार कंपनियां खोल दीं - वैष्णवी कम्यूनिकेशन, नोएसिस स्ट्रैटजिक कंसल्टिंग लिमिटेड, विटकॉम और न्यूकॉम कंसल्टिंग....2008 में देश के सबसे धनी आदमी - मुकेश अंबानी - ने भी अपने लिए लॉयजनिंग का काम उन्हें दे दिया...एक अनुमान के अनुसार उनकी चार कंपनियों के पास देश की 150 से भी अधिक बड़ी कंपनियों के लिए लायजनिंग का ठेका है और उनका सालाना व्यापार चार सौ करोड़ रुपए का हो गया है..आज देश के बड़े मंत्रियों, राजनीतिज्ञों, अधिकारियों से लेकर संपादक तक राडिया से फोन पर बात करते हैं..

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