सलमान सेलिब्रिटी है। सैकड़ों दिल की धड़कन हैं। काला हिरण शिकार केस में जब उन्हें सजा सुनाई गई तो किसी ने इस फैसले का स्वागत किया तो किसी ने उनको जमानत मिल जाने को लेकर दुआएं की।लोगों की दुआओं का असर भी दिखा। सलमान खान को काला हिरण मामले में आखिरकार जमानत मिली और 2 रातों से जोधपुर सेंट्रल जेल में कैदी नंबर 106 बनकर रह रहे सलमान खान जेल से बाहर आ गए। इस पूरे प्रकरण में सोशल मीडिया में मजेदार रिएक्शन सामने आए।कई लोग सलमान के खिलाफ आए इस फैसले से नाराज नजर आए, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि कानून हर किसी के लिए बराबर होना चाहिए। खैर सोशल ट्रेंड को समझा जाए तो कई ने लिखा - "काले हिरण का जीवनकाल: 10 से 15 साल, काले हिरण को मारने के बाद कोर्ट में केस का जीवनकाल: 20 साल" वहीं गुस्से में लोगों ने पोस्ट किया -हिरण को तो इंसाफ मिल गया, सलमान की कार से मरे इंसानों का क्या? लोगों ने खुलकर सोशल मीडिया पर अपनी बातों को रखा।
यह तो रही सोशल मीडिया की बातें। लेकिन सलमान को सजा सुनाए जाने के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने यह कहकर एक नया विवाद पैदा कर दिया है कि फिल्म अभिनेता सलमान खान अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध रखते हैं इसलिए उन्हें सजा सुनाई गई है। आसिफ ने पाकिस्तानी समाचार चैनल जिओ न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा, 'सलमान अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध रखते हैं इसलिए उन्हें यह सजा सुनाई गई है।'आसिफ ने कहा कि अगर सलमान का धर्म भारत की सत्तारुढ़ पार्टी वाला होता तो शायद उनको यह सजा नहीं मिलती और उनके साथ उदार रुख अपनाया जाता।
वहीं अभिनेत्री सोफिया हयात ने सलमान खान के काला हिरण मारने के जुर्म में जेल जाने पर खुशी जाहिर की है। सोफिया ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट डाली है जिसमें उन्होंने लिखा है- 'अंत में आपका कर्मा आपको पकड़ ही लेता है। ज्यादातर लोग सलमान के खिलाफ बात करने से डरते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वह बॉलीवुड को कंट्रोल करते हैं। लेकिन मैं बोलने से नहीं डरती हूं। मुझे बहुत खुशी है कि जो काम सलमान ने किया उसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा।
सलमान के जेल जाने पर बिश्नोई समाज काफी खुश है। दरअसल, ये समाज और कोई नहीं बल्कि राजस्थान का ऐसा समाज है, जो प्रकृति प्रेम के लिए जाना जाता है। बिश्नोई समाज ही है जो पिछले 20 सालों से काले हिरण के शिकार मामले में आरोपियों को सजा दिलाने की कोशिश कर रहा था और जब सलमान को सजा दी गई तो ये समाज खुशी में पटाखे फोड़ता नजर आया। हालांकि, सैफ अली खान, सोनाली बेंद्रे, तब्बू और नीलम के बरी हो जाने से बिश्नोई समाज थोड़ा निराश ही है और उनका कहना है कि वो इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे और उन्हें भी सजा दिलवाएंगे। बिश्नोई समाज जोधपुर के पास पश्चिमी थार रेगिस्तान से आत है और इस समाज के लोगों को प्रकृति प्रेम के लिए जाना जाता है। बिश्नोई समाज में जानवरों को भगवान के बराबर माना जाता है और जानवरों की रक्षा के लिए ये लोग अपनी जान तक देने के लिए तैयार रहते हैं। कहा जाता है कि प्रकृति के लिए जान देने वाले लोगों को बिश्नोई समाज में शहीद का दर्जा भी दिया जाता है। कहा जाता है कि बिश्नोई समाज के लोग हिरणों से बहुत प्यार करते हैं और उन्हें अपने बच्चों की तरह पालते हैं। राजस्थान के मारवाड़ गांव में हिरणों का लोगों के बीच घूमना-फिरना भी बहुत आम माना जाता है। कहा जाता है कि हिरण बिश्नोई समाज का हिस्सा बन चुके हैं और ये लोग हिरणों को भगवान की तरह मानते हैं। इंटरनेट पर भी अगर इनके बारे में सर्च किया जाए तो नेट पर बिश्नोई समाज की कई महिलाओं की फोटो देखने को मिलेंगी, जिनमें वो हिरणों को दूध पिलाती हुईं दिखतीं हैं। इस समाज काले हिरण को लेकर 20 साल तक संघर्ष किया। जिसका नतीजा आज आप सबके सामने है।
विश्व-स्तर पर विभिन्न जातियों की संरक्षण-स्थिति पर निगरानी रखने वाले सर्वोच्च संगठन अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने वन्य जीवों की दुनिया में मौजूदगी को देखते हुए रेड डेटा सूची (Red Data List) निर्धारित की हुई है, जिसे विलुप्त (जो बिल्कुल समाप्त हो गए), संकटग्रस्त (जिन पर लुप्त होने का खतरा है) और कम जोखिम (जो भविष्य में संकटग्रस्त हो सकती हैं) में बांटा गया है। काला हिरण फिलहाल कम जोखिम की संकट-निकट (Near Threatened या NT) कैटेगरी में है।
काला हिरण मूलतः भारत, पाकिस्तान और नेपाल में पाया जाता है। इसकी प्रजातियां बांग्लादेश में पाई जाती थीं, लेकिन अब वहां यह विलुप्त हो गया है।भारत में भी इसकी स्थिति ठीक नहीं है और अब यह संरक्षित क्षेत्रों तक ही सीमित हो गया है। वास्तव में 20 वीं शताब्दी में अत्यधिक शिकार से इनकी संख्या में भारी कमी दर्ज की गई। इसका मुख्य कारण वनों की कटाई रही, जिससे ये रहवासी इलाकों की ओर जाने को मजबूर हुए और इनका शिकार आसान हो गया और इनकी संख्या में तेजी से गिरावट आई। बाद में भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 के तहत काले हिरण का शिकार निषिद्ध कर दिया गया।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम को देश के वन्यजीवों को सुरक्षा प्रदान करने एवं अवैध शिकार, तस्करी और अवैध व्यापार को नियंत्रित करने के लिए लागू किया था। जनवरी 2003 में अधिनियम में संशोधन किया गया था और सजा तथा अधिनियम के तहत अपराधों के लिए जुर्माना और अधिक कठोर बना दिया गया।
सलमान खान को सजा सुनाते हुए फैसले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट देवकुमार खत्री ने अपने 201 पेज के फैसले में कहा कि मुलजिम एक एक्टर है और उसके कार्यों को देखकर आमजन भी उनको फॉलो करते हैं।इसके बावजूद मुलजिम (सलमान खान) ने जिस प्रकार वन्य जीव संरक्षण कानून में दर्ज ‘ब्लैक बक’ की प्रजाति के दो निर्दोष मूक वन्यजीव काले हिरनों का बंदूक की गोली मारकर शिकार किया।उसके मद्देनजर उन्हें प्रोबेशन का लाभ देना न्यायोचित नहीं है। अदालत ने कहा कि इस समय वन्यजीवों के अवैध शिकार की बढ़ रही घटनाओं के मद्देनजर सलमान के अपराध की गंभीरता को देखते हुये उन्हें वन्यजीव संरक्षण कानून के अंतर्गत प्रोबेशन एक्ट का लाभ देना न्यायोचित नहीं है। अदालत ने कहा कि अभियुक्त के वकील द्वारा पेश किए गए उदाहरणों का पर स्टडी की गई है, लेकिन ‘‘मेरे मतानुसार इनके द्वारा पेश की गई तथ्य व परिस्थितियां इस मामले की तथ्य व परिस्थितियों से अलग होने के कारण अभियुक्त को प्रोबेशन का लाभ प्राप्त करने का अधिकारी नहीं पाया जाता है। मुलजिम को दोषसिद्ध अपराध अंतर्गत धारा 9/11 वन्य जीव संरक्षण अधिनियम में कारावास और अर्थदण्ड से दण्डित किया जाना न्यायोचित है।’’
न्याय व्यवस्था सब के लिए बराबरी का भाव रखता है। ऐसे में वो सलमान खान हो या विश्व के किसी भी हिस्से का कोई भी सेलिब्रिटी । कभी कोई साक्ष्यों के अभाव में छूट जाता है। कभी पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर सजा भी हो जाती है। ऐसे अनगिनत उदाहरण है। लिहाजा काला हिरण शिकार केस में जब सलमान खान को सजा मिली तो भारतीय जनमानस उद्वेलित नजर आया। जिसने अपने-अपने तरीके से अपना-अपना पक्ष रखा।
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