भारत के प्रधानमंत्री पद की कोई गरिमा नहीं रह गई है..जो चाहे इस गरिमा को तार-तार करने में लगा हुआ है..आज योगगुरू बाबारामदेव ने प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह को नामर्द बोल दिया..तो कई देहाती औरत कह देता है..तो कोई प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह द्वारा लाए जा रहे अध्यादेश पर ही सवाल खड़े कर रहा है.कभी उन्हें रोबोट कहा जाता है..तो कभी और न जाने क्या-क्या कहते हैं..
जहां एक और पिछले शुक्रवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली के प्रेस क्लब में अपने ही सरकार द्वारा लाए जा रहे अध्यादेश पर सवाल उठाए...तो वहीं गुरूवार को रायपुर प्रेस क्लब में योगगुरू बाबारामदेव ने प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह को नामर्द बोल दिया..इसके पहले भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने मनमोहन सिंह के प्रति अगाध समर्थन का इज़हार करते हुए कहा था कि अगर राहुल गांधी प्रधानमंत्री की गरिमा नहीं घटाते तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की हिम्मत नहीं पड़ती कि वो भारत के प्रधानमंत्री को देहाती औरत कहते.
वहीं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अधीन काम करने की इच्छा जताए जाने संबंधी बयान को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा के खिलाफ बताया है..जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान आयोजित सभा में चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कांग्रेस के कार्यकर्ता नहीं है, बल्कि देश के प्रधानमंत्री हैं..राहुल गांधी के नेतृत्व में काम करने की बात कहकर उन्होंने प्रधानमंत्री पद की गरिमा गिराई है, लिहाजा उन्हें प्रधानमंत्री के पद पर नहीं रहना चाहिए..चौहान ने आगे कहा कि वे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का विशेष आदर करते थे, मगर इस बयान से उनकी भावना को ठेस पहुंची है.. राहुल गांधी कांग्रेस के पदाधिकारी हैं और उनके नेतत्व में काम करने की बात कहकर प्रधानमंत्री ने पद की गरिमा गिराई है..
पिछले शुक्रवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली के प्रेस क्लब में कुछ ऐसा ही किया. अपनी बांहें समेटते हुए उन्होंने कांग्रेस के ही नहीं बल्कि तमाम राजनीतिक पार्टियों के समूचे नेतृत्व की निश्चिंतता को भंग कर दिया.कांग्ररेस प्रवक्ता अजय माकन की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में अचानक प्रकट होकर राहुल गांधी ने सज़ायाफ़्ता सांसदों और विधायकों की सीटें बचाने के लिए सरकार की ओर से लाए जा रहे अध्यादेश को "पूरी तरह बेतुका" बताते हुए कहा कि इसे "फाड़कर फेंक दिया जाना चाहिए." उन्होंने ये भी कहा कि "मेरी निजी राय है कि जो कुछ मेरी सरकार कर रही है वो ग़लत है."राहुल गाँधी ने सीधे सीधे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उनके मंत्रिमंडल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस के पूरे सामूहिक नेतृत्व को एक झटके में कठघरे में खड़ा कर दिया था..आप जानते ही हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि अगर किसी सांसद या विधायक को कोई अदालत आपराधिक मामले में दो साल से ज़्यादा की सज़ा सुनाती है तो वो तुरंत विधानसभा या संसद की सदस्यता खो देंगे.
लगभग सभी राजनीतिक पार्टियाँ सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को संसद के ज़रिए पलट देना चाहती हैं क्योंकि इससे सभी का हित सधता है.राहुल गांधी के बयान के अगले दिन से ही अख़बारों के कॉलम रंगे जाने लगे कि किस तरह उन्होंने मनमोहन सिंह की विदेश यात्रा के दौरान ऐसा कड़ा बयान देकर प्रधानमंत्री पद की गरिमा को ख़त्म किया है. प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकारों सहित कई टिप्पणीकारों ने कहा कि इतनी बड़ी बेइज़्ज़ती के बाद अब मनमोहन सिंह को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए. प्रधानमंत्री को लेकर पूरे देश में बयानों का दौर जारी है..लेकिन इन सबके बीच देश के सर्वोच्च पद पर बैठे प्रधानमंत्री पद की गरिमा के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं होना चाहिए...
जहां एक और पिछले शुक्रवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली के प्रेस क्लब में अपने ही सरकार द्वारा लाए जा रहे अध्यादेश पर सवाल उठाए...तो वहीं गुरूवार को रायपुर प्रेस क्लब में योगगुरू बाबारामदेव ने प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह को नामर्द बोल दिया..इसके पहले भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने मनमोहन सिंह के प्रति अगाध समर्थन का इज़हार करते हुए कहा था कि अगर राहुल गांधी प्रधानमंत्री की गरिमा नहीं घटाते तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की हिम्मत नहीं पड़ती कि वो भारत के प्रधानमंत्री को देहाती औरत कहते.
वहीं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अधीन काम करने की इच्छा जताए जाने संबंधी बयान को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा के खिलाफ बताया है..जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान आयोजित सभा में चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कांग्रेस के कार्यकर्ता नहीं है, बल्कि देश के प्रधानमंत्री हैं..राहुल गांधी के नेतृत्व में काम करने की बात कहकर उन्होंने प्रधानमंत्री पद की गरिमा गिराई है, लिहाजा उन्हें प्रधानमंत्री के पद पर नहीं रहना चाहिए..चौहान ने आगे कहा कि वे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का विशेष आदर करते थे, मगर इस बयान से उनकी भावना को ठेस पहुंची है.. राहुल गांधी कांग्रेस के पदाधिकारी हैं और उनके नेतत्व में काम करने की बात कहकर प्रधानमंत्री ने पद की गरिमा गिराई है..
पिछले शुक्रवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली के प्रेस क्लब में कुछ ऐसा ही किया. अपनी बांहें समेटते हुए उन्होंने कांग्रेस के ही नहीं बल्कि तमाम राजनीतिक पार्टियों के समूचे नेतृत्व की निश्चिंतता को भंग कर दिया.कांग्ररेस प्रवक्ता अजय माकन की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में अचानक प्रकट होकर राहुल गांधी ने सज़ायाफ़्ता सांसदों और विधायकों की सीटें बचाने के लिए सरकार की ओर से लाए जा रहे अध्यादेश को "पूरी तरह बेतुका" बताते हुए कहा कि इसे "फाड़कर फेंक दिया जाना चाहिए." उन्होंने ये भी कहा कि "मेरी निजी राय है कि जो कुछ मेरी सरकार कर रही है वो ग़लत है."राहुल गाँधी ने सीधे सीधे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उनके मंत्रिमंडल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस के पूरे सामूहिक नेतृत्व को एक झटके में कठघरे में खड़ा कर दिया था..आप जानते ही हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि अगर किसी सांसद या विधायक को कोई अदालत आपराधिक मामले में दो साल से ज़्यादा की सज़ा सुनाती है तो वो तुरंत विधानसभा या संसद की सदस्यता खो देंगे.
लगभग सभी राजनीतिक पार्टियाँ सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को संसद के ज़रिए पलट देना चाहती हैं क्योंकि इससे सभी का हित सधता है.राहुल गांधी के बयान के अगले दिन से ही अख़बारों के कॉलम रंगे जाने लगे कि किस तरह उन्होंने मनमोहन सिंह की विदेश यात्रा के दौरान ऐसा कड़ा बयान देकर प्रधानमंत्री पद की गरिमा को ख़त्म किया है. प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकारों सहित कई टिप्पणीकारों ने कहा कि इतनी बड़ी बेइज़्ज़ती के बाद अब मनमोहन सिंह को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए. प्रधानमंत्री को लेकर पूरे देश में बयानों का दौर जारी है..लेकिन इन सबके बीच देश के सर्वोच्च पद पर बैठे प्रधानमंत्री पद की गरिमा के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं होना चाहिए...
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