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नक्सली गढ़ में साधना न्यूज


नक्सलियों के गढ़ में सबसे पहले पहुँची साधना न्यूज की ओवी : नक्सलियों ने ली ओवी की तलाशी : कलेक्टर के अपहरण के मामले को लेकर तमाम अटकलों पर लगाया विराम : नक्सलियों के दुर्गम इलाकों से साधना न्यूज की लाइव तस्वीरें.
साधना न्यूज मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन की रिहाई के कवरेज को लेकर एक बार फिर अपने दर्शकों के विश्वास पर खड़ा उतरा है..प्रदेश के दर्शकों के अलावा नेशनल इलेक्ट्रानिक मीडिया ने भी साधना न्यूज की खबरों को तवज्‍जो दिया.. कलेक्टर के अगवा होने के पहले ही दिन से साधना न्यूज ने सधी और सटीक खबरें दिखाई.
साधना न्यूज ने छत्तीसगढ़ के दुर्गम नक्सली क्षेत्र सुकमा के ताड़मेटला से लाइव तस्वीरें दिखाकर अटकलों पर विराम लगाया.. साधना न्यूज की पूरी टीम ने हिम्मत और दिलेरी के साथ लालगढ़ में कदम रखा.. जिसका नतीजा यह हुआ है कि माओवादियों ने साधना न्यूज को अपना पहला इंटरव्यू दिया.. जिस इंटरव्यू ने कई मीडिया हाउसेस में चल रहे तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया.. इस इंटरव्यू को कई पत्रकारों ने फर्जी भी करार दिया.. कई ने सराहा भी.. लेकिन इन सबके बीच किसी ने यह पूछने की जहमत नहीं समझी कि जिस इंटरव्यू के कवरेज के दौरान साधना की ओवी लालगढ़ में रात में 12 घंटें तक नक्सलियों से घिरी उस दौरान साधना की टीम की क्या हालत रही.. लेकिन इतनी विपरीत परिस्थितियों के बाद भी साधना न्यूज की ओवी सही सलामत ताड़मेटला के जंगलों से निकल पाई.
जब नक्सलियों के वार्ताकार बीडी शर्मा और प्रोफेसर जी हरगोपाल लालगढ़ ताड़मेटला पहुँचें तो उस समय भी साधना न्यूज की ओवी माओवादियों के बीच पहुँची.. उस समय माओवादियों ने साधना की ओवी वैन की तलाशी भी ली.. लेकिन इन सबके बीच साधना न्यूज की टीम ने नक्सली गढ़ में कभी हार नहीं मानी.. और लगातार सटीक और सधी खबरें अपने दर्शकों तक पहुँचाती रही.... कलेक्टर की रिहाई सुनिश्चित करने में साधना न्यूज के लिए काम आसान नहीं था. नक्सलियों ने जिस इलाकों में कलेक्टर को रखा था.. वह इलाका काफी दुर्गम है, जहां चार पहिया गाड़ी से पहुँचना जोखिम भरा है. पगडंडी रास्ते, पहाड़ की ऊंची-नीची राहें, नुकीले पत्थर, घुमावदार रास्ते, जहां एक छोटी सी चूक का मतलब मौत से सीधा सामना हो सकता है.
ऐसे में इस रास्ते पर 55 किलोमीटर का सफर करना और सबसे पहले उस इलाके में पहुँचना साधना न्यूज की टीम के लिए खतरों से कम नहीं था. ऊंची पहाड़ियों पर बढ़ते-बढ़ते कभी-कभी ऐसा लागता था कि बस अब नहीं, आगे नहीं जाया जा सकता. उस वक्त टीम का हर सदस्य एक-दूसरे का हौसला अफजाई करते हुए ओवी को आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित कर रहा था. रात का सन्नाटा और कभी-कभी अजीबोगरीब आवाजें. कहीं नक्सलियों द्वारा बिछाए गए बारुदी सुरंग की चपेट में आने की अनहोनी. ये सभी बातें मन में उमड़-घुमड़ रही थी. कहीं-कहीं तो कच्ची राहों में हुए गड्ढों ने आधी जान भी निकाली. लेकिन टीम का हर सदस्य ओवी से उतर कर रास्ते का मुआयना करते हुए आगे बढ़ता जा रहा था... जिसका नतीजा यह हुआ है कि साधना न्यूज के जरिए प्रशासन और लोगों तक विश्वसनीय खबरें पहुँच पाई.. और आखिर में कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन की रिहाई संभव हो पाई.
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन को माओवादियों ने इस महीने की 21 तारीख को अपहरण कर लिया था तथा इस दौरान उनके दो सुरक्षाकर्मियों को गोली मार दी थी. माओवादियों ने राज्य सरकार से अपने 17 साथियों को रिहा करने समेत पांच मांगें सामने रख दी थी, माओवादियों ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को 25 अप्रैल तक का समय दिया था, लेकिन बाद में माओवादियों ने अपने एक संदेश में आठ कार्यकताओं को रिहा करने की मांग कर सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी थी. इन मुश्किलों के बीच कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन की पत्नी आशा मेनन की चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही थी.. लिहाजा साधना न्यूज ने सामाजिक सारोकार का निर्वहन करते हुए बीड़ा उठाया कि वह प्रशासन और तमाम लोगों के बीच इस घटना से संबंधित हरसंभव कोशिश कर विश्वसनीय खबर पहुँचाएगी.

जिससे कलेक्टर मेनन की रिहाई संभव हो सके.. इस समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार की ओर से मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव एसके मिश्रा तथा माओवादियों की ओर से पूर्व प्रशासनिक अधिकारी बीडी शर्मा और हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हरगोपाल ने मध्यस्थ के रूप में काफी सराहनीय काम किया.. जिसका नतीजा हुआ कि राज्य सरकार ने अपने वायदे के अनुसार स्थायी उच्चाधिकार समिति का गठन कर दिया.. यह समिति छत्तीसगढ़ की विभिन्न जेलों में बंद कैदियों के मामलों की समीक्षा करेगी.. इसमें वे मामले भी शामिल होंगे जिनकी मांग नक्सलियों ने की है.. इन तमाम घटनाक्रम के बीच साधना न्यूज की टीम ने हार नहीं मानी.. चाहे जंगल के अंदर से हो या राजधानी रायपुर में चले बैठकों की खबरें.. उसे प्रमुखता और सजगता के साथ अपने दर्शकों के सामने रखा.

Comments

Unknown said…
Ek journalist apne jaan ki baazi laga kar khabar karta hai par fir bhi log kehte hai media bekaau hai this is not good.Very nice story keep it up Mr Rajeev

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