छत्तीसगढ़ में पुलिस बेखौफ हो गई है..कभी खुलेआम पुलिस अपने मातहत अधिकारियों के सामने गार्ड को लात-घूंसे से मारती हैं..तो कभी बीच सड़क पर पत्रकारों पर अपनी दबंगई दिखाती है..नक्सल मोर्चे पर छत्तीसगढ़ पुलिस की फर्जी मुठभे़ड़ की कई दास्तां जगजाहिर है..लेकिन अभी तक बेकसूर आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराने वाली छत्तीसगढ़ पुलिस के निशाने पर आम लोगों की आवाज उठाने वाले पत्रकार हैं..छत्तीसगढ़ के दूरस्थ आदिवासी अंचलों में पुलिस की फर्जी मुठभेड़ की लंबी फेहरिस्त है..लेकिन अब छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आदिवासी अंचलों में पुलिस के फर्जी मुठभेड़ों को सामने रखने वाले पत्रकारों को उनका एनकाउंटर कर देने की धमकी देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है..
दरअसल गुरूवार दोपहर जब छत्तीसगढ़ पुलिस के तमाम अधिकारी अपने चैंबर में पहुँचकर अपने काम में मशगूल हो गए..तब इन तमाम अधिकारियों के गनमैन और ड्राइवर ने पुलिस मुख्यालय को जुए का अड्डा बना दिया..ऐसे में साधना न्यूज मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए पुलिस मुख्यालय में जवानों द्वारा लंबे-लंबे जुए का दांव लगाते हुए जवानों को अपने कैमरे में कैद कर लिया..तब पुलिस मुख्यालय के जवान आग-बबूला हो गए..पुलिस मुख्यालय में जुआ खेल रहे इन पुलिस कर्मियों की वीडियो रिकार्डिंग करने वाले न्यूज चैनल के कैमरामैन को बंधक बना लिया..इसके बाद पुलिस कर्मियों ने कैमरे से कैसेट निकालकर उसे तोड़कर नाली में फेंक गया..कैमरामैन और संवाददाता को जान से मारने की धमकी दी गई है...30-40 की संख्या में मौजूद जवानों ने सारी हदों को पार करते हुए यह भी कहा कि हमारे पास चोरी की गोलियां भी है..एक-दो गोली दागकर फर्जी एनकाउंटर तुम दोनों का कर दें तो तुम क्या कर लोगो..प्रदेश में कितने फर्जी एनकाउंटर होते हैं..किसी को कुछ भी पत्ता नहीं चलता..मामले की शिकायत मुख्यमंत्री, गृहमंत्री सहित पुलिस के आला अधिकारियों से की गई है..
यह पूरा वाक्या उस समय हुआ जब गुरुवार को साधना न्यूज चैनल के रिपोर्टर ओमप्रकाश तिवारी और कैमरामेन चतुरमुर्ती वर्मा विकास भवन रिपोर्टिंग के लिए पहुंचे थे..यहां से पुलिस मुख्यालय सीआईडी कार्यालय के सामने एख पेड़ के नीचे कुछ पुलिसकर्मी जुआ खेलते हुए दिखे..जिसे कैमरामेन कैमरे में कैद करने लगा..पुलिस कर्मियों ने जब खुद को जुआ खेलते हुए कैमरे में कैद होते देखा तो वे आग बबूला हो गए...सभी कर्मी एक साथ कैमरामेन पर टूट पड़े...पुलिसकर्मियों ने कैमरामेन और संवाददाता को पुलिस मुख्यालय में किसकी इजाजत से आए हो कहते हुए धक्का-मुक्की करने लगे..कैमरामेन को करीब एक घंटे तक पुलिसकर्मियों ने बंधक बनाकर रखा..कीमती कैमरा अपने कब्जे में लेकर पुलिसकर्मियों ने उसकी डीवी निकाल ली..डीवी को तोड़कर नाली में फेंक दी..घटना की खबर मिलने पर मीडियाकर्मी पुलिस मुख्यालय पहुंचे..
फिलहाल हरबार की तरह इसबार भी मामले की लीपा-पोती शुरू कर दी गई है. आखिर छत्तीसगढ़ पुलिस को किसने हक दे दिया है कि वह आम लोगों और आम लोगों की आवाज उठाने वाले पत्रकारों को अपना निशाना बनाये. नक्सल मामलों पर छत्तीसगढ़ पुलिस अभी तक फिसड्डी ही साबित हुई है और इससे बढ़कर यह कि छत्तीसगढ़ पुलिस की खाकी पर कई बदनुमा दाग लग चुके हैं. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ पुलिस के मातहत अधिकारी इस बारे में खास चिंतित नहीं दिखते.कुछ महीने पहले ही 15 जवानों ने ईटीवी के पत्रकार वैभव और जी चौबीस घंटे छत्तीसगढ़ के रिपोर्टर सुरेंद्र पर अपना पौरुष दिखाया था..जिसमें दोनों पत्रकारों को काफी चोटें आई थी..
छत्तीसगढ़ पुलिस की सिर्फ यही बानगी नही है..पुलिस की गुंडागर्दी लगातार बढ़ती जा रही है. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में 12 सितंबर को भी पुलिस के जवानों ने एक सिनेमाघर के गार्ड को पीट-पीटकर मार डाला था. ये जवान शहर के पुलिस कप्तान यानी एसपी साहब की सुरक्षा में लगे हुए थे. गार्ड की ग़लती यह थी कि उसने सादे कपड़ों में सिनेमा देखने पहुँचे एसपी साहब को नहीं पहचाना और उन्हें सही रास्ते से बाहर निकलने की सलाह दे दी. जवानों को यह बर्दाश्त नहीं हुआ. कप्तान साहब अपने जवानों के साथ फ़िल्म दबंग फिल्म देखकर निकल रहे थे. तभी पुलिस ने गार्ड पर दबंगई दिखाई जिससे गार्ड की मौत हो गई. पुलिस पर प्रताड़ना के आरोप कोई नई बात नहीं है. पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए कई आयोग बने और सिफारिशें अमल में लाई गई. लेकिन सारी कवायद ढाक के तीन पात ही रहे हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ पुलिस की बढ़ती दबंगई पर कब लगाम लग पाएगी, यह किसी को नहीं पता.
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