रायपुर में पुलिस दिखी लाचार.... पुलिस को पड़ गए जान के लाले.. अपने ही पुलिस अधिकारियों को छोड़ भाग खड़े हुए पुलिसकर्मी.. भीड़ के सामने पुलिस बेबस... मीडियाकर्मियों ने बचाई पुलिस अधिकारी की जान.. राजधानी के समीप मंदिरहसौद में एक हत्या के मामले में जमकर बवाल हुआ.. गांव वालों ने आरोपी अखिलेश मिश्रा औऱ उसके परिवार वालों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पहले उसके घर औऱ बाद में पुलिस वालों पर पथराव किया.. जिससे आरंग के थानेदार लालचंद मोहले सहित तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए..
मंदिरहसौद में आक्रोशित भीड़ के सामने पुलिस लाचार दिखी.. लिहाजा पुलिस वाले अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते नजर आए.. वहां मौजूद मीडियाकर्मियों ने पुलिस वालों पर बरसते पत्थर से उन्हें बचाया और उन्हें अस्पताल तक पहुँचाने में मदद की. यहां मीडिया ने अपनी जवाबदारी समझी.. लेकिन पुलिस ने 4 मई को हुई घटना के बाद से अपनी जवाबदारी से मुंह मोड़ा.. जिसकी वजह से इतना बवाल खड़ा हुआ.. दरअसल मंदिर हसौद थाना अंतर्गत बजरंग चौक इलाके से 4 मई की रात एक युवक को गंभीर रूप से घायल अवस्था में सड़क पर पाया गया.. बाद में स्थानीय लोगों की सहायता से युवक को अस्पताल में भर्ती कराया गया..
युवक की पहचान मंदिर हसौद के राकेश उर्फ खाती यादव के रूप में की गई.. पूछताछ में राकेश ने अखिलेश मिश्रा द्वारा उस पर कातिलाना हमले की बात कही.. लेकिन पुलिस ने इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की.. घायल युवक राकेश की मौत के बाद गांव वाले एकाएक भड़क उठे.. मंदिरहसौद में आए इस जलजले के आगे पुलिस बेबस हो गई.. पुलिस की ही नासमझी के कारण गांव में भारी तनाव उत्पन्न हो हुआ.. युवक की मौत से खाकी से खौफ खाने वाले लोगों ने खाकी वर्दी वालों की जमकर धुनाई कर दी.. पत्थरों की वर्षा के बीच पुलिस असहाय बनी रही.
असहाय पुलिस वालों के वहां कवरेज कर रहे पत्रकार वरदान साबित हुए.. पत्रकारों ने अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए पुलिस वालों को भीड़ के चंगुल से निकाला.. और अस्पताल तक पहुँचाने में मदद की.. इस घटना में कई पत्रकारों को गंभीर चोटें भी आई हैं. कठिन परिस्थितियों में मीडियाकर्मी अपनी सजग भूमिका का निर्वहन करते है.. अपनी जान जोखिम में डालकर कई बार मीडियाकर्मी दूसरों की जान बचाते नजर आते हैं.. इन सबके बीच मीडिया पर कई बार सवाल खड़े किए जाते रहे हैं.. इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों पर कुछ चंद सेकंड के विजुअल के लिए अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ लेने के कई बार आरोप लग चुके हैं.. बावजूद इसके मीडिया ने अपने सामाजिक दायित्वों का कई बार निर्वहन किया है.. जिसका ताजा उदाहरण रायपुर के मंदिरहसौद की यह घटना है..
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