Skip to main content

भारत के स्वाभिमान की जीत...धोनी के धुरंधर बने विश्व विजेता..

चक दे इंडिया...चक दे इंडिया..आखिरकार इंडिया ने विश्वकप के फाइनल में लंका दहन कर ही डाला..जीत की खुशी भारतीय खिलाड़ियों के चेहरे पर ऐसी थी.मानो उनके आंखों से आंसू के रूप में मोती गिर रहे हो..ये अनमोल मोती उन्होंने 1 अरब 21 करोड़ देशवासियों के सुपुर्द किया..भारतीय क्रिकेट के इतिहास में दो अप्रैल का स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया है..धोनी के धुरंधरों ने वही कारनामा कर दिखाया जो कपिल देव के जांबाजों ने 1983 में लार्ड्स में वेस्टइंडीज को हराकर दिखाया था..धोनी के जांबाजों में चार पूर्व चैंपियनों को एक के बाद एक ध्वस्त करते हुए वानखेडे में तिरंगा लहरा दिया..धोनी ने विश्व विजयी छक्का मारकर करोड़ों भारतीयों को जश्न मनाने का मौका दिया..धोनी के छक्का मारते ही सारे भारतीय खिलाड़ी मैदान में कूद पड़े और सबने एक-दूसरे को गले लगा लिया..इस छक्के के लगते की पूरे देश में आतिशबाजी से आसमान जगमगा उठा..यह जीत हरेक भारतीय के स्वाभिमान की जीत थी.सोने, चांदी और हीरों से जगमगाता आईसीसी विश्व कप को टीम इंडिया ने शनिवार रात उस वक्त फिर से जीत लिया जब उसने इस प्रतियोगिता के फाइनल में श्रीलंका को मात दी..इस जीत से एक तरफ जहां भारत का 28 साल बाद विश्व कप जीतने का सपना साकार हुआ, वहीं दूसरी ओर टीम इंडिया ने इस कप को सचिन तेंदुलकर को समर्पित किया..भारत की इस जीत में सबसे अहम भूमिका टीम भावना की रही..भारत के विश्वचैंपियन बनने के साथ ही मास्टर ब्लास्टर का क्रिकेट विश्वकप जीतने का सपना पूरा हो गया...विश्वकप शुरू होने से पहले सचिन ने कहा था कि भारत साल 2011 का विश्वकप जीते यह उनका सपना है...उस समय टीम इण्डिया के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी सहित हर किसी प्लेयर ने यही कहा था कि वे सचिन का सपना पूरा करने की पूरी कोशिश करेंगे और शनिवार को टीम इण्डिया ने श्रीलंका को मात देकर आखिर सचिन का सपना पूरा कर दिया..जब विश्वकप शुरू हुआ था तब ही यह कहा जा रहा था कि टीम इण्डिया विश्वकप की प्रमुख दावेदार है..हालांकि बीच के कुछ मैच के बाद लोगों को कुछ शंकाएं जरूर थी लेकिन उन सभी शंकाओं को निराधार करते हुए आखिरकार टीम इण्डिया ने 1983 का इतिहास दोहरा दिया..महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व वाली भारतीय क्रिकेट टीम ने शनिवार को वानखेड़े स्टेडियम में इतिहास रचते हुए आईसीसी विश्व कप-2011 पर कब्जा कर लिया..इस तरह श्रीलंका पर मिली छह विकेट की जीत के साथ करोड़ों भारतीय क्रिकेट प्रेमियों का विश्व कप जीतने का 28 वर्ष पुराना सपना साकार हुआ..भारत ने 1983 में पहली बार विश्व खिताब जीता था...भारत की इस ऐतिहासिक जीत के हीरो गौतम गम्भीर रहे जिन्होंने 97 रनों की साहसिक पारी खेली...विराट कोहली (35) के साथ तीसरे विकेट के लिए 83 रन जोड़कर भारत को वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर (18) के आउट होने से झटके से उबारने वाले गम्भीर ने कप्तान धोनी के साथ चौथे विकेट के लिए 109 रन जोड़कर टीम को जीत की दहलीज तक पहुंचा दिया..गम्भीर और धोनी ने विश्व कप फाइनल के इतिहास में भारत की ओर से अब तक की सबसे बड़ी साझेदारी को अंजाम दिया..गम्भीर, धोनी और कोहली की शानदार पारियों की बदौलत भारत ने 275 रनों के लक्ष्य को 48.2 ओवरों में चार विकेट खोकर हासिल कर लिया..गम्भीर ने अपनी 122 गेंदों की पारी में नौ चौके लगाए..वह जब आउट हुए थे तब भारत को जीत के लिए 53 रनों की जरूरत थी..दूसरी ओर, धोनी 91 रन बनाकर विश्व कप में एक बल्लेबाज के तौर पर अपनी अब तक की नाकामी को धो दिया..उनके साथ युवराज सिंह 21 रनों पर नाबाद रहे..इस तरह श्रीलंकाई टीम का 1996 के बाद दूसरी बार विश्व चैम्पियन बनने और अपने महानतम गेंदबाज मुथैया मुरलीधन को खिताबी विदाई देने का सपना धरा का धरा रह गया..अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 1300 से अधिक विकेट ले चुके मुरलीधरन ने इस मैच के साथ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया..इससे पहले, पूर्व कप्तान माहेला जयवर्धने (नाबाद 103) द्वारा सलीके से तराशी गई शतकीय पारी की बदौलत श्रीलंका भारत के सामने 275 रनों का अपेक्षाकृत चुनौतीपूर्ण लक्ष्य रखा..टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी श्रीलंकाई टीम ने बेशक शुरुआत के अनिवार्य बैटिंग पावरप्ले में सिर्फ 31 रन जुटाए थे लेकिन उसने इसकी भरपाई अंतिम पावररप्ले के दौरान 63 रन जुटाकर कर ली..थिसरा परेरा ने जहीर खान के अंतिम दो ओवरों में 17 और 18 रन जोड़ते हुए अपनी टीम को सम्मानजनक योग तक पहुंचा दिया..जयवर्धने के नेतृत्व में श्रीलंकाई बल्लेबाजों ने खराब शुरुआत और उसके बाद भारतीय गेंदबाजों की सधी गेंदबाजी के कारण सामने आई बेबसी को भुलाते हुए शानदार पारियां खेलीं और कम से कम 260 रनों की चुनौती पेश करने की उस बाधा को पार किया, जिसके बूते उनके गेंदबाज टीम के सम्मान की रक्षा कर सकती थी लेकिन भारतीय बल्लेबाजों का इरादा कुछ और ही था..यह जयवर्धने की शतकीय पारी का ही प्रताप है कि 45 ओवरों तक 211 रन बनाने वाली श्रीलंकाई टीम निर्धारित 50 ओवरों में छह विकेट पर 274 रन बनाने में सफल रही..जयवर्धने ने 88 गेंदों पर 13 चौकों की मदद से 103 रन बनाए..इसके अलावा कप्तान कुमार संगकारा ने 48 और तिलकरत्ने दिलशान ने 33 रनों का योगदान दिया..थिलन समरवीरा ने 21 रन बनाए और नुवान कुलासेकरा तथा परेरा ने अंतिम समय में जयवर्धने के साथ शानदार साझेदारियां निभाते हुए क्रमश: 66 और नाबाद 26 रन जोड़े..कुलासेकरा ने 30 गेदों पर एक चौके और एक छक्के की मदद से 32 रन बनाए जबकि परेरा नौ गेंदों पर तीन चौकों और जहीर की अंतिम गेंद पर लगाए गए छक्के की मदद से 22 रन जोड़े..भारत की ओर से इस विश्व कप में कुल 21 विकेट झटककर पाकिस्तान के कप्तान शाहिद अफरीदी की बराबरी करने वाले जहीर खान और युवराज सिंह ने इस मैच में दो-दो विकेट लिए..जहीर ने अपने शुरुआती सात ओवरों में सिर्फ 16 रन दिए थे लेकिन 10वे ओवर की समाप्ति तक वह 60 रन लुटा चुके थे..हरभजन सिंह को भी एक सफलता मिली..कुलासेकरा रन आउट हुए..यह सफर रही टीम इंडिया की..जिस राह चलकर टीम इंडिया ने विश्वकप पर कब्जा किया..और देशवासियों को अनोखी सौगात दी..

धोनी जैसा कोई नहीं: ये है कैप्‍टन कूल की पूरी कहानी
28 साल बाद एक बार फिर भारत को विश्‍व कप दिलाने वाले कप्‍तान महेंद्र सिंह धोनी इतिहास पुरुष बन गए हैं..7 जुलाई 1981 को तत्‍कालीन बिहार की राजधानी रांची में जन्मे धोनी ने अपना क्रिकेट करियर 1999-2000 में शुरू किया था..पहली बार एकदिवसीय मैच खेलने का मौका उन्हें बांग्लादेश के खिलाफ  23 दिसंबर 2004 को मिला..हालांकि इस मैच में वे पहली ही गेंद पर आउट हो गए थे..इसके बाद अगले चार मैचों में उनकी बल्लेबाजी किसी को प्रभावित नहीं कर पाई थी..विशाखापट्टनम में पाकिस्तान के खिलाफ अपने पांचवे मैच में उनका जो कमाल दिखा, उससे उनके प्रति लोगों की सोच ही बदल गई..इस मैच में उन्होंने 123 गेंदो पर 148 रन बनाए..धोनी ने 15 चौके और चार छक्के लगाए और अपनी जिंदगी का पहला मैन ऑफ द मैच अवार्ड जीता..धोनी ने खुद को न सिर्फ एक अच्छा विकेटकीपर बल्कि अव्‍वल बल्‍लेबाज भी साबित किया है..धोनी के नेतृत्‍व में भारत टी20 वर्ल्‍ड कप पहले ही जीत चुका है और वह टेस्‍ट क्रिकेट में भारतीय टीम को नंबर 1 रैंकिंग भी दिला चुके हैं..वर्ल्‍ड कप में जीत के बाद टीम वनडे क्रिकेट में भी नंबर 1 हो गई है..बस आईसीसी की ओर से इसकी औपचारिक घोषणा होनी बाकी है..धोनी को बिहार के अंडर 19 टीम में 1998-99 में शामिल किया गया..तब उन्होंने 5 मैचों में 176 रन बनाए..बिहार टीम में रणजी ट्रॉफी के लिए उन्होंने 1999–2000 के सीज़न में पहली बार खेला..2003/04 के सीज़न में रणजी मुकाबले में धोनी ने असम के खिलाफ शतक लगाया जिससे उन्हें पहचान मिली और उन्हें भारत-ए में जिम्बाववे और केन्या के दौरे में मौका दिया गया..इस दौरे के दौरान उनके प्रदर्शन को काफी सराहना और पहचान मिली..कई बड़े खिलाड़ियों के साथ साथ उन्होंने तत्कालीन भारतीय कप्तान सौरव गांगुली का ध्यान आकर्षित किया..18 सितंबर 2007 को वनडे टीम की कप्तानी उन्हें मिली..उस दौरान ट्वेंटी-20 वर्ल्ड कप का टूर्नामेंट चल रहा था..अंतत: 24 सितंबर को वह शुभ घड़ी आई जब भारत ने उनके नेतृत्‍व में आईसीसी ट्वेंटी-20 वर्ल्ड कप का खिताब जीता लिया..उसके बाद भारत ने 2007-08 में कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज, कॉम्पैक कप (2009-10) और एशिया कप (2010) जीत लिया..धोनी ने कभी भी क्रिकेट करियर में रैंकिग को महत्व नहीं दिया..उनकी नज़र में रैंक से बढ़कर टीम का प्रदर्शन और खेल जीतना है..रांची में पले-बढ़े धोनी के परिवार में उनकी मां देवकी देवी और पिता पान सिंह के अलावा एक बहन और एक भाई है..धोनी को म्यूज़िक सुनना बहुत पसंद है और खासतौर पर वे लता मंगेशकर और किशोर कुमार को सुनना पसंद करते हैं..बाइक्स का धोनी को खासतौर पर बेहद शौक है..उनका कहना है कि उन्हे स्पीड बहुत पसंद है..धोनी भगवान में पक्‍का विश्वास रखने वाले शख्‍स हैं..इसके अलावा उन्हें कंप्यूटर गेम्स और बैडमिंटन खेलना भी पसंद है..धोनी एडम गिलक्रिस्ट के बड़े फैन हैं..धोनी आत्मविश्वास से भरे हुए रहते हैं..मैदान पर वह आक्रामक प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं..धोनी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह सकारात्मक विचार रखते हैं और अपना आपा नहीं खोते हैं..तभी उन्‍हें कैप्टन कूल कहा जाता है..धोनी में सही फैसले लेने की गजब की क्षमता है..इसके अलावा वह अपनी गलतियों की जिम्मेदारी भी बखूबी लेना जानते हैं..धोनी यूथ आइकन हैं..उनके लंबे बाल कभी युवाओं के बीच चर्चा का विषय थे..पूर्व पाकिस्‍तानी राष्‍ट्रपति परवेज मुशर्रफ भी उनकी उस हेयरस्टाइल के कायल हो गए थे..प्यार से लोग उन्हे माही बुलाते हैं..धोनी मैदान पर जितने आक्रामक दिखते हैं, निजी जिंदगी में वैसे बिलकुल नहीं है..उनके मुताबिक वे निजी जिंदगी में बड़े लापरवाह हैं और उन्हें बातें करना बिलकुल पसंद नहीं हैं..वे ज़्यादातर चुप रहना पसंद करते हैं..वे काफी मस्तमौला और मजाकिया किस्म के इंसान हैं..

Comments

Popular posts from this blog

मीडिया का व्यवसायीकरण

  मीडिया का व्यवसायीकरण होता जा रहा है..व्यासायी घराने अपना हित साधने के लिए मीडिया और उसके संसाधनों का जबरदस्त दोहन कर रहे हैं...उनके हित के आगे खबरों की कोई अहमियत नही..चाहे वह खबर सामाजिक सारोकार से ही जुड़ा हुआ मुद्दा क्यों न हो...जब हम लोगों को एक पत्रकार के रूप में दायित्वों को बताया गया तब हमने सोचा  था कि हम अपने दायित्वों के लिए किसी से समझौता नहीं करेंगे...लेकिन दायित्वों का पढ़ाया गया पाठ अब किताबों तक ही सीमित रह गया है...कौन सी खबर को प्रमुखता से दिखाना है..और कौन सी खबर को गिराना है...ये वे लोग निर्धारित करने लगे हैं..जिनका पत्रकारिता से कोई सारोकार नहीं है...आज का पत्रकार सिर्फ कठपुलती बन कर रह गया है...डमी पत्रकार..इन्हें वहीं करना है...जो व्यसायी घराने के कर्ता-धर्ता कहें..मीडिया के व्यवसायीकरण ने एक सच्चे पत्रकार का गला घोंट दिया है..घुटन भरे माहौल में काम की आजादी छीन सी गई है..व्यवसायी घरानों ने मीडिया को एक जरिया बनाया है..जिसके जरिए वह सरकार तक अपनी पहुँच बना सके..और अपना उल्लू सीधा कर सके..अपना हित साधने के लिए इन्होंने मीडिया को आसान जरिया चुना है...मीडिया के इस

लाइव एनकाउंटर ऑन द टेलीविजन !

आज की नई पीढ़ी कल्पना में जी रही है...फेंटेसी में यह नई-नई कहानियां बुनते रहते हैं...कभी स्पाइडर मैन...कभी सुपर मैन बनकर यह दूसरों से लड़ते हुए अपने-आप को सपने में देखते हैं..लेकिन जब सपना टूटता है..तो इन्हें अपने हकीकत का एहसास होता है....लेकिन कभी-कभी सपनों को यह हकीकत का अमलीजामा पहनाने की कोशिश करते हैं...जिसके कारण ये सलाखों के पीछे भी पहुँच जाते हैं...ऐसा ही कुछ हुआ है..रायपुर के स्कूली छात्र सुमेर सिंह के साथ...जो इसी फेंटेंसी करेक्टर की चक्कर में आज पुलिस की गिरफ्त में पहुँच चुका है..दरअसल यह महोदय एक न्यूज चैनल दफ्तर पहुँचकर खुद को सीबीआई एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बता रहे थे..इनके मुताबिक अब तक 28 एनकाउंटर करने के बाद इन्हें कोलकाता से छत्तीसगढ़ में नक्सली एनकाउंटर करने के लिए भेजा गया है...पुलिस को जब इसकी सूचना मिली तो उनके होश गुम हो गए..गिरफ्तारी के बाद सारा माजरा समझ में आया...पुलिस ने मीडिया बनकर इस सीबीआई एनकाउंटर स्पेशलिस्ट को पकड़ा... अब तक छप्पन, शूटआऊट एट लोखणंडवाला....जैसी फिल्मों से इंस्पायर यह जनाब खुद को सीबीआई एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बताते हैं..इन्हें नक्सलियों का लाइव

पूर्वोत्तर की अनोखी शमां

  पूर्वोत्तर की मिलजुली संस्कृति के अनोखे संगम के साथ लोगों को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से रायपुर में सांस्कृतिक कार्यक्रम ऑक्टेव 2011 की बेमिसाल शुरूआत हुई..खुले आसमां तले तीन स्तरीय मंच पर पूर्वोत्तर का खनकदार नृत्य..अंग-अंग की खास भाव-भंगिमा का मोहक असर..मृदंग की थाप, बांसुरी की तान और झाल की झनक..नृत्यप्रेमियों का हुजूम..साथ में गुलाबी ठंड का सुहाना मौसम..मानो संध्या की धड़कन में पावों की थिरकन हो रही हो रवां..ऑक्टेव 2011 में पुलिस लाईन ग्राउंड में रंग-बिरंगी रोशनी के बीच जीवंत हो रहा था यह नजारा.. कार्यक्रम का आकर्षण पारंपरिक फैशन शो के रूप में सामने आई..इसमें आठों राज्य के लोगों ने अपने-अपने राज्य के परिधानों के साथ कैटवाक किया..नगालैंड, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय आदि प्रदेशों के कलाकारों ने भी अपने परिधानों से दर्शकों पर छाप छोड़ी..इसके बाद इन राज्यों के लोकनृत्यों की बारी थी..मणिपुर के थांग ता व ढोल ढोलक चोलम की प्रस्तुति..मणिपुर में याओशांग यानी होली के मौके पर इसकी प्रस्तुति की जाती है..भक्तिरस से परिपूर्ण इस नृत्य का प्रमुख