जान फूंकती हर उस खबर मैं..जिसमें मिली एक आवाज...वह आवाज खामोश सी हो गई..खामोशी भी ऐसी...जिसे पाट पाना काफी मुश्किल है..उस आवाज के न रहने के गम में मेरे आंसूओं से भरी श्रद्धांजलि है..उनको...जिन्होंने खबर को अपनी आवाज देकर उसमें जान डालने की निरंतर कोशिश की...खबरों की दुनिया में हरफनमौला और आवाज के जादूगर अशोक उपाध्याय सर..आज भी उनकी आवाज मेरे कानों में गूंज रही है...मैं उन लम्हों में खो गया...जब अशोक उपाध्याय जी से मेरी पहली मुलाकात हुई थी... ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में चयन के बाद मैं अपने कुछ साथियों के साथ हैदराबाद स्थित रामोजी फिल्मसिटी पहुंचा....मन में कौतुहल था...वहां से वरिष्ठ पत्रकारों से मिलने का...मेरी सबसे पहली मुलाकात कराई गई..नेशनल हिन्दी डेस्क के हेड अशोक उपाध्याय जी से...अशोक जी को देखने की सबसे ज्यादा उमंग थी. क्योंकि मैं जिस शहर से था..वे भी उसी शहर से थे..मैंने उनके बारे में काफी कुछ सुन रखा था..रोबदार आवाज़, घनी मूंछें और धीर गंभीर व्यक्तित्व के अशोक जी से उस समय पहली मुलाकात कुछ खास नहीं रही. बड़े जोश से मैंने अपना परिचय दिया और सामने से बहुत ही सहज और हलकी-सी प्रतिक्रिया ने मन में दबे उस कौतुहल को काफी कम कर दिया....जो अशोक जी के लिए बना हुआ था....ईटीवी में ज्वाइनिंग के बाद उनसे मिलने का सिलसिला सा चल पड़ा..बहुत कम ही लेकिन एकाध-बार उनसे अहम मुद्दों पर चर्चाएं हुई..उनकी शख्सियत के साथ उनकी आवाज़ सभी को कायल करने वाली थी..जब वे वीओ करते..तो लगता किसी ने खबर में जान डाल दी हो..उनकी आवाज से खबर सजीव हो उठती थी...खबर को सजीवता देने वाला यह शख्स आज हमारे बीच नहीं हैं..लेकिन उनके साथ बिताए पल, उनकी आवाज आज भी हमारे जेहन में है...जिसे भुलाया नहीं जा सकता...वे कई वर्ष तक ईटीवी, राजस्थान चैनल में बुलेटिन प्रोड्यूसर और एंकर के रूप में कार्यरत रहे..उनकी क्षमता और प्रतिभा को देखते हुए ईटीवी प्रबंधन ने बाद में उन्हें कई बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी...ईटीवी, हैदराबाद में कार्यरत मीडियाकर्मियों के मुताबिक अशोक जी इंटेलीजेंट, विनम्र और मेहनती व्यक्ति थे..इनसे किसी को कभी कोई शिकायत नहीं होती थी क्योंकि वे सबकी भावनाएं समझते थे और सभी को सम्मान देते थे..वे रोल माडल की तरह लगते...ईटीवी में एक दौर सा शुरू हुआ...जिसमें कई पत्रकार बहते चले गए..ईटीवी से पलायन का दौर..जिसे ईटीवी प्रबंधन रोक न सका..अशोक उपाध्याय का ईटीवी, हैदराबाद में नेशनल डेस्क के प्रभारी के पद से इस्तीफा देकर वीओआई, नोएडा के साथ जुड़ना जानलेवा सिद्ध हुआ...कई बार जिंदगी में गलत फैसले हो जाते हैं पर करियर की बेहतरी के लिए जाब बदलने का कोई गलत फैसला अंततः जान ले जाएगा, यह किसी को उम्मीद न थी...
मीडिया का व्यवसायीकरण होता जा रहा है..व्यासायी घराने अपना हित साधने के लिए मीडिया और उसके संसाधनों का जबरदस्त दोहन कर रहे हैं...उनके हित के आगे खबरों की कोई अहमियत नही..चाहे वह खबर सामाजिक सारोकार से ही जुड़ा हुआ मुद्दा क्यों न हो...जब हम लोगों को एक पत्रकार के रूप में दायित्वों को बताया गया तब हमने सोचा था कि हम अपने दायित्वों के लिए किसी से समझौता नहीं करेंगे...लेकिन दायित्वों का पढ़ाया गया पाठ अब किताबों तक ही सीमित रह गया है...कौन सी खबर को प्रमुखता से दिखाना है..और कौन सी खबर को गिराना है...ये वे लोग निर्धारित करने लगे हैं..जिनका पत्रकारिता से कोई सारोकार नहीं है...आज का पत्रकार सिर्फ कठपुलती बन कर रह गया है...डमी पत्रकार..इन्हें वहीं करना है...जो व्यसायी घराने के कर्ता-धर्ता कहें..मीडिया के व्यवसायीकरण ने एक सच्चे पत्रकार का गला घोंट दिया है..घुटन भरे माहौल में काम की आजादी छीन सी गई है..व्यवसायी घरानों ने मीडिया को एक जरिया बनाया है..जिसके जरिए वह सरकार तक अपनी पहुँच बना सके..और अपना उल्लू सीधा कर सके..अपना हित साधने के लिए इन्होंने मीडिया को आसान जरिया चुना है...मीडिया के इस
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