मैंने अपनी पत्रकारिता की जिंदगी में कई स्टोरी की...लेकिन कई स्टोरी ऐसी होती है....जिसका उल्लेख करना मैं वाजिब समझता हूँ...ऐसे तो ऐसी बहुत सारी स्टोरी मेरे जेहन में हैं...लेकिन एक स्टोरी ऐसी भी है...जिसने मेरे दिलो-दिमाग पर काफी असर छोड़ा..वैसे भी यह अभी हालिया घटना है..इसलिए इसका जिक्र यहां वाजिब समझता हूँ...इस कहानी में एक लड़की का पिता अपने बेटी की रिश्ते की बात करने एक घर पर पहुँचता है...लेकिन रिश्ते की आड़ में उसके मन में कुछ और ही चल रहा होता है...पेशे से डॉक्टर य़ह शख्स वह कर जाता है...जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती....इस केस को सुलझाने में पुलिस को भी काफी कड़ियां इकट्ठी करनी पड़ी....लेकिन जब आखिर में इस मामले का खुलासा हुआ तो मामला काफी चौंकन्ने वाला था....
यह कहानी है....डॉक्टर रामचंद लालवानी की....जो रिटायर्ड इंकम टैक्स ऑफिसर बगन लाल रगवानी से पूर्व से परिचित था...एक ही समाज के होने के कारण आरोपी रामचंद अपनी पुत्री के लिए ऱंगवानी के पुत्र से शादी करने का इच्छुक था...इसी कारण वह रंगवानी के दुकान पर आया जाया करता था..एक दिन आरोपी डॉक्टर..रिटायर्ड इंकम टैक्स ऑफिसर के घर उसकी पत्नी से मिलने पहुँचता है..जहां उसकी पत्नी को वह अकेला पाता है....बातचीत में श्रीमती ईश्वरी रंगवानी बताती है कि उसके पास पैसों की कमी नहीं है...उसे लड़की पढ़ी-लिखी और सुशील चाहिए...लेकिन डॉक्टर के मन में कुछ और चल रहा होता है...श्रीमती ईश्वरी रंगवानी द्वारा जब यह कहा जाता है कि उसके पास पैसों की कमी नहीं है..यह बात डॉक्टर को खटकती है..और घर में अकेला श्रीमती ईश्वरी रंगवानी को देखकर वह लूट की योजना बन डालता है...लिहाजा इस लूट में अपने एक मरीज और उसके भाई को शामिल करता है..एवं लूट की वारदात को अंजाम दिया जाता है....घर में केवल श्री रंगवानी की पत्नी ईश्वरी बाई अकेली थीं...मीटर रीडिंग के बहाने दोनों ने दरवाजा खटखटाया..भीतर घुसने के बाद महिला के मुंह में कपड़ा ठूंसा ताकि शोर न मचा पाए...महिला के हाथ और पांव रस्सी से बांध देने के बाद अलमारी में रखे 6 लाख 80 हजार रुपए एक बैग में रखकर भाग निकले....घटना के वक्त मुख्य आरोपी रहमानिया चौक के पास रंगवानी और उनके बेटे पर नजर रखे हुए था..वारदात को अंजाम देने के बाद असलम और नवाब ने मोबाइल पर उससे संपर्क किया.....तीनों काशीरामनगर में असलम के घर इकट्ठे हुए और लूट की रकम का आपस में बंटवारा कर लिया....पाश कालोनी में दिनदहाड़े सनसनीखेज वारदात पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गई थी....आला अधिकारियों ने क्राइम ब्रांच निरीक्षक रमाकांत साह्रू, पीसी राय, एएसआई सेवकराम बैरागी और प्रेमराज बारीक को आरोपियों को ढूंढ़ निकालने की जिम्मेदारी सौंपी...असलम और नवाब बिना कामकाज के पैसे उड़ाने के कारण संदेह के दायरे में थे....इसी बीच शराब के नशे में असलम ने साथियों के बीच सच्चई उगल दी....मुखबिरों से इसकी भनक पुलिस को लग गई और लूटकांड का राज खुलकर सामने आ गया....आरोपियों को इतना यकीन था कि उन तक पुलिस कभी नहीं पहुंच पाएगी क्योंकि मौका ए वारदात पर ऐसा कोई सबूत नहीं छोड़ा था कि जिनके जरिए उनकी भूमिका के बारे में पता चल पाता...आरोपियों का कोई क्रिमिनल रिकार्ड नहीं था...पांच महीने बाद ही सही आरोपियों के पकड़े जाने रंगवानी परिवार को राहत मिली... इस मामले में एक कड़ी और भी है..पुलिस के मुताबिक पुलिस भर्ती के नाम पर लोगों को झांसा देने वाले डीएसपी एम.जी.खल्को का संबंध आरोपी डॉक्टर के साथ है...डॉक्टर ने कुछ लोगों से भर्ती के नाम पर लाखों रूपए लिए थे..लेकिन खलको के इस गोऱखधंधा का पर्दाफाश हो जाता है...और डॉक्टर किसी की भी नौकरी नहीं लगा पाता है...उसे पैसे लौटाने होते हैं...इसलिए भी वह इस लूट की वारदात को अपने मरीजों के साथ मिलकर अंजाम देता है..लूट के पीछे मंशा कुछ भी हो...लेकिन लूट में अपराधिक चरित्र वालों का हाथ नहीं होना...यह दर्शाता है कि शार्ट कॉर्ट तरीके से पैसे कमाने की चाह ने लोगों को अंधा कर दिया है...
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